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________________ ( ३३ ) मांगलियांना नख पासे पासे होय तेमा अन्तर न होय तेवा माणास राज्य सुख भोगवे. जेना नख सुपडाना जेवा तथा तुटेला होय, तथा वांका होय तथा नखनो आगललो भाग छोपनाजेवो होय, तथा नखमां पसीनों आवतो होय तथा घणा मोटा नख होय ते अनिष्ट करता होय छे. ते माणस दुःखी तथा निन्दापात्र थाय छे. जेना नख गोलाकार होय ते महान् धनवान होय, तथा जेना नख मांसथी परिपूर्ण होय, ते सोभाग्यवान होय अने जेना नखमां चिकणाश होय, जेना नख पीठवाला होय. तथा लाल होय ते माणास राज्यपदवीने भोगवे. जेना हाथनी पांचे आंगलियोंमां दक्षिणावर्त - जमणु चक्र होय होय तो शुभ छे, तेना उपरनो भाग लाल चिकणो, तथा उंचो होय तथा पर्वना अडवा भागथी होय तो ते शुभ छे नहीं तो अशुभ जाणवा. जेना हाथना सफेत नख होय तो साधु धाय, तथा तेना माछळीना आकारना जेवा समेत नख होय तो ते दरिद्र थाय, तथा पीला नख होय, तो रोगी थाय, तथा रंग बेरंगी होय तो दुष्ट स्वभाववालो होय, तथा वावना नखना जेवा नख होय तो क्रोधी थाय, अने छीपना जेवा काला, मोट होय, तथा फाटेला होय, के जेमा चिरा पडेला जेवो आकार होय, तथा लीला रंग जेबा होय, अने खराब देखाता होय, तथा लुखा होय, बांका होय, तेवो माणास पापी तथा अधम जाणवो पगना तथा हाथना नखमां सफेतबिन्दु होय तो ते शुभ जाणवा. तर्जनी आंगलिनो नख तुटेलो होय, तो तेनु अडधु आयुष्य जाणवुं, तथा मध्यमानो तुटेलो होय तो तोजो भाग ओछो जाणवो, तथा अनामिकानो नख तुटेलो होय, तो आयुष्यनो चौथो भाग ओछो जाणो. कनिष्टानो तुटेलो होय तो आयुष्यनो आठमों भाग ओछो समजवो. अने अंगूठानो नख भांगेलो होय तो ते माणासने धर्म, तीर्थ यात्रामां विशेष तथा " Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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