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________________ (२९) शूल रोगथी मरे-तथा जेना हाथना तलियामां जो कागडानु चिन्ह होयः तो माणास जलदीथी धन मेलवे. अने जलदीथीज धन नाश करे. पदवीरेखा जेनां जमणा हाथना अंगूठानी नीचे तथा गोत्र पित्र रेखानी उपर वांकी गयेली रेखा होय तो ते सेठपदवी, राजपदवी व मन्त्रिपदवी, अने एकज रेखा होय तो नानी पदवी, बे होय तो मध्यपदवी, अने त्रण रेखा होय तो महान् साम्राज्यपदवी मले अने जो आरेखा ब्राम्हणना हाथमां होय तो तेनु फल विद्या समजवु. भाग्यरेखा जमणा हाथनी कनिष्टा आंगलिना मूलमाथी नीकलीने आयुरेखानी पासे जो आ रेखा गयेली होय तो तेने भाग्यरेखा समजवी अने आमां छेदन भेदन न होय तो सुखने आपे छे. जेना हाथमां अंगूठाना मध्यमां यव होय तो ते भाग्यवान होम तथा जेना हाथना अंगठाना छेडा उपर जव होय तो विद्वान् थाय, तथा हाथना तलियामां ऊर्ध्वरेखा होय तो महान् लक्ष्मीने आपनार थाय छे. जेना हाथना कनिष्टा आंगलिना मूलपर्वमा त्रण चार रेखा होय ते पुत्रवान थाय तथा योग्य पुरुष थाय, तेने राजा विगेरे पण नमस्कार. प्रणाम करे. __ कनिष्टा आंगलिना मूलपर्वमां एक रेखा होय, तो तेनाथी पूजा सत्कार थाय, अने बे रेखा होय तो बाल्यावस्था तथा युवावस्था, अने त्रण रेखा होय तो बाल, युवा, वृद्ध आ त्रणे अवस्थामा पूजासत्कार पामे-अने जो आरेखा जमणा हाथमा न होय तथा डाबा हाथनी कनिष्टा आंगलि ना मूलपर्वमां होय तो, पाछली अवस्थामां राज्य सेवाथी अथवा तो व्यापारथी धन मले. अनामिका आंगलिना नीचे धर्मरेखा होय छे अने मध्यमां आंगलिनी नीचे जीवित रेखानी पासे गयेली होय तो पेटमां दर्द थाय । "Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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