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________________ ( २७ ) जेना हाथमा शस्त्रनु चिन्ह होय तो डानु चिन्ह होय तो समुद्रमां मुसाफरी होय तो शास्त्रानो जाणकार थाय अने धर्मात्मा थाय. महान् पराक्रम थाय अने नावकरनार थाय अने पुस्तकनु चिन्ह देवकुल मंदिरनु चिन्ह होय तो ते जेना हाथमां स्वस्तिक चिन्ह होय तो ते भाग्यवान होय तथा ताजवानु चिन्ह होय होय तो व्यापारी श्राय, श्रीवत्सनु चिन्ह होय तो वांछित लक्ष्मी मले तथा पुष्पनी मालानु चिन्ह होय तो तेना घरमा गाय विगेरे पशुओ घणा होय. जेना हाथमां ताजवानो आगलनो भाग तथा वज्रनु चिन्ह होय तो तेनो व्यापार घणो चाले. जेना हाथमां माछलीना आकार जेवी रेखा होय तो तेना कामनी सिद्धि थाय अने धनवान थाय अने तेने घणा पुत्रो होय तथा स्त्रीनं पण सुख होय. जेना हाथम प्रद्मनु चिन्ह होय तथा सर्पनु चिन्ह होय, अथवा खजानानुं चिन्ह होय तो ते माणास पृथ्वीनो अधिपति राजा थाय. जेना हाथमां चनो आकार ध्वजा तथा तलवारनु चिन्ह होय ते समस्त विद्यामां अग्रेश्वरी होय बुद्धिमान् तथा राज्यमा सत्कार पामे. जेना हाथमां त्रिशूलनु चिन्ह होय ते धर्मात्मा होय. यज्ञधर्म तथा दान आपनार थाय तथा देवगुरुनी सेवा करनार थाय. जेना हाथमा अंकुश कुंडल छत्रनु चिन्ह होय तो तेने राज्य मले. जेना हाथमां श्रेष्ठ कमल स्वस्तिक भद्रासन, पुष्प, मत्स्य, जलकुंभ, वृषभ, गज, छत्र, चामर, शाला, अश्व, वज्र, मकर, तोरण, विमान केतुन चिन्ह होय तो तो ते थोडाज दिवसमां राज्यपदवी भोगवे . जेना हाथमां मछली चिन्ह होय. तेने अन्नपाननो लाभ मले, तथा पूर्णकलशनु चिन्ह होय तो सोभाग्यवाती थाय, अने पुष्पमालानु, चिन्हः • " Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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