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________________ ( २४ ) अने शंखनु चिन्ह होय तो लाख रुपीया मले, तथा जेना हाथमां दण्डसहित छत्र होय अथवा चामरयुत ध्वज होय तो ते माणास चक्रवर्ती पदवी भोगवे, जेना हाथमां ध्वजानु चिन्ह होय ते वृद्धावस्थामां सुखी थाय, तथा करभनो भाग मांसथी भरेलो होय तो श्रेष्ट गणवामां आवे छे अने आंगलिना वेढा ओ पातला होय तो पण श्रेष्ठ गणवामां आवे छे. करमथी नोकलेली रेखा ओ जो धन रेखामां मलेली होय अने ते अकुंशना आकार जेवी रेखा होय तो ते हाथी वालों राजा थाय अर्थात् तेने त्या हाथी बंधाय जेना हाथमां वृषभनी रेखा होय तो ते घणी गायो नो मालिक थाय अने ते खेती करनार तथा धनवान थाय. जेना हाथमां सूर्यनुं चिन्ह होय ते प्रतापी शूर थाय, अने चन्द्रमानुं चिन्ह होय तो कोमल स्वभाववालो थाय. सिंहासननुं चिन्ह होय तो पटधारी तथा गादि पति थाय, शेठ थाय अने मोरनु चिन्ह होय तो मामानां पक्षमांथी हमेषा लाभ मल्याकरेसुखी रहे. जमणा हाथना अंगूठाना मूलमां जो अंकुश होय तो मानपान पामे प्रासाद ( महेल ) नु चिन्ह होव तो सुखी तथा धनवान थाय अने मत्स्यनु चिन्ह होय तो वृद्ध अवस्थामां सुखी थाय, समुद्रनो व्यापारी थाय अर्थात् समुद्रमां तेना वहाण स्टिमरो घणा चाले. जमणा हाथना अंगूठाना मूलमां जो नन्दावर्तनु चिन्ह होय तो राज्य पदवी मले, तथा काछबानो आकार होय तो भाग्यवान् होय, अने पूर्ण कुंभनु चिन्ह होय तो ते पोतानो मनोरथ पूर्ण करे. तथा जमणा हाथमा रथनु चिन्ह होय तो ते रथवाला थाय अर्थात् ते ने घरे रथ गाडी चाले, अने तेनु बधु कुटुंब उद्यमशाली होय, - तथा तलवार चिन्ह होय तो वे माणास क्लेश करवावालो तथा सहाय करनार थायं. " Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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