SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 287
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २१ ) जेना हाथमां मणिबन्धथी नीकलेल रेखा प्रदेशिनी सुधी गइ होय तो तेने घणा मित्रो होय. जेना हाथमां मणिबन्धथी अंगूठानी पासे गयेली रेखाने ऊर्ध्व रेखा कहेवामां आवे छे, अने ते ऊर्ध्व रेखा पांच प्रकारनी होय छे— पेली अंगूठानी पासे गयेली रेखाने राजसुखने आपनारी थाय छे तथा बीजी रेखा तर्जनी पासे गयेली होय तो राजा थाय अथवा तो राजानो मित्र थाय. तथा तीजी मध्यमां आंगलिनी पासे गयेली रेखा होय तो ते पुरुष प्रसिद्ध वाचार्य थाय अथवा सेनाधिपति थाय, तथा चोथी अनामिका आंगलिनी पासे गयेली होय ते सार्थवाह अथवा धनवान थाय, अने पांचमी कनिष्टा अंगली पासे गयेली रेखा होय तो ते प्रदिष्टावालो तथा यशस्वी थाय, तथा सैकडो राजाओमा मानपान प्राप्त करे. आ उर्ध्व रेखा यथायोग्य, तूटेली न होय, तेनी अवधि सुधि गयेली होय, तथा तेनी मध्यमां थी कोइ बीजी रेखा नीकलेली न होय आवी एक उर्ध्व रेखा हजारो माणसोनु पालनपोषण करनार थाय छे. आवी ऊर्ध्व रेखा ब्राह्मणना हाथमां होय तो वेदादि शास्त्रमां प्रविण होय, तथा क्षत्रियने हाथमां होय तो राज्यपदवी भोगवे अने वाणियाना, हाथमां होय तो धनवान थाय तथा शूद्रना हाथमां होय तो सुखपूर्वक पोतानो निर्वाह चलावे. जे पुरुषना डाचा हाथमां जे आयुरेखा होय छे तेने स्त्रीरेखा समजवी अने आ रेखामां जो जमणा भागमां फांटा होय तो स्त्रीनु सुख मले, अने डावा हाथमां फांटा गयेल होय तो दुःख भोगवे . जे पुरुषना डाबा हाथनी आयुरेखा तथा कनिष्टानी मध्यमां जेटली रेखाओ नीकलेली होय, ते पुरुषने तेटली स्त्रीओ मले समजवु. अने आ रेखा समान होय तो सारा स्वभाववाली जाणवी तथा रेखा विषम होय तो खराब स्वभाववाली समजवी, "Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy