SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पांच तत्त्व स्थापना. तर्जनीमां पृथ्वी, मध्यमामां पाणी, अनामिकामां वायु, कनिष्ठामां तेज, अंगुठामां आकाश आप्रमाणे ततत्व समजवा. रसनी स्थापना. __ अंगूठामा मधूर रस, मध्यभामां तिखो रस, प्रदेशिनीमां कडवो रस अनामिकामां कसायेलो रस, कनिष्टामां आम्ल रस, आप्रमाणे पांचे आंगलियोमां न्यास अमजयो. - आप्रमाणे स्पर्शनाधिकारमा अनेक विषयो नु स्पष्टीकरण करेलछे परंतु अत्रे जाणवायोग्य जे विषयो छे तेनुज संक्षिप्त अनुवाद अत्रे आपेल छे. इति श्री दर्शनाधिकारः स्पर्शनाधिकार संक्षिप्त-अनुवाद. . हाथ जोवडावनार प्रथम पोताना हाथमा सर्वतो भद्र यन्त्रलखे तथा तेनी फुलथी पूजाकरे; त्यारबाद आंगलियोने स्पर्श करे. - गर्भ प्रश्न फल. कोई ना गर्भ मां पुत्रछेके पुत्रि तेना माटे आप्रमाणे जोवुजेम कोइ बालकने पांचे आंगलिओ बताववी जो तेमा-समागुलि-बीजी अथवा चोथी आंगलिनो-स्पर्शकरे तो छोकरो थाय समजवु-तथा विषमांगुलि पेली तीजी आंगलिने पांचभी आमाथी गमेते आंगलिनों स्पर्शकरे तो पुत्रि थाय. अने हाथना तलियामां हाथ मुके तो नपुंसक थाय समजवू. आंगलिओमा मन्त्राक्षरनी स्थापना. ___ अंगुठामां ॐ नमः स्थापनाकरे तर्जनीमां ई नमः, मध्यमामां ॐ नमः मनामिकायां ऐं नमः. कनिष्ठामां ॐ नमः माप्रमाणे स्थापनाकरें. "Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy