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________________ हाथनो अंगूठो सिंहासन, तेना उपर आदीश्वर भगवाननी स्थापना सम. जवी तथा हाथनी चार आंगलियोमां जया, विजया,. जयन्ता, अपराजिता देवीओनी स्थापना करवी. जेवी रीते उदयाचल पर्वतना शिखर उपर पेला जेवी रीते सूर्यनो उदय धाय छे तेवी रीतेज अंगूठामा चन्द्रमा विगेरेनी स्थापना समजवी. अंगूठामां ॐकार, कनिष्ठामा ऐकार, अनामिकामा होकार मध्यमां श्रींप्रर्दशिनीमा क्लीं तथा हाथना तलियानी चारे दिशाओमां अंर्ह नमोनमः सिद्ध आआठे वर्णोनी स्थापना करवी. __ आप्रमाणे स्थापना करीने हाथने जोवो निश्चय फल देवगुरुना स्मरणथी थाय छे. __ अर्हन् स्वरूप अकारनी स्थापना हाथना मध्यभागमां तथा आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल ल ए ऐ ओ औ अं अः आ पंदर वर्णो आंगलियोना पंदर वेढामां स्थापना करवी तथा व्यंजनानी स्थापना आप्रमाणे समजवी अंगूठाना त्रणेवेढामां क ख ग. तर्जनीना त्रणवढामां घ च छ. मध्यमाना त्रणे वेढामां ज झ ट. अनामिकाना त्रणेवेढामां ठ. ड. ढ. कनिष्ठाना त्रणे वेढामां त. थ. द. तथा आवी रिते. डावा हाथना अंगुठाना त्रणे वेढामां ध. प. फ. तर्जनीना त्रणे वेढामा ब. भ. य. मध्यमाना लणे वेढामां र. ल. व. अनाभिकाना त्रणेवेढामां श. ष. स, कनिष्ठाना त्रेण वेढामां ह त्र. ज्ञः तथा तलियामां क्षः नी स्थापना करवी. __ डाबा हाथमां पार्श्वनाथ भगवान तथा आगलियोमा फणा, तथा जमणा हाथमां ऋषभदेव, तथा आंगलियोमा जटा समजवी. श्रीऋषभदेव तथा पार्श्वनाथ आ वन्ने तीर्थंकरोना योगमां ॐकार परम मांगलिक गणवामां आव्यो तेवी रीते. हाथनु जोडवु सर्वदा मंगलिक गणवामां आवेल छे, हाथना नामोहस्त, हाथ, कर शम. पाणि, शय, पंचांगुली, सल, पंचशाख, पंचशिख "Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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