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________________ टतृतीयम् । ] भाषाटीकासमेतः । चिपिटश्चिपिटे पुंसि पिच्चिते विस्तृतेऽन्यवत् । चिरण्टी तु सुवासिन्यां स्याद्वितीयवयःस्त्रियाम् ॥ ४३ ॥ वार्ताकु पुष्पे जकुटं जकुटो मलये शुनि । त्रिकूट सिन्धुलवणे त्रिकूटः स्यात्सुवेलके ॥ ४४ ।। त्रिपुटस्तु भवेत्तीरे पुमानपि सतीनके । त्रिपुटा मल्लिकाभेदे सूक्ष्मैलात्रिवृतोरपि ॥ ४५ ॥ व्यङ्गट शिक्यभेदे स्याद्धौताञ्जन्यामपीष्यते । द्रोहाटस्तु मतो गाथाप्रभेदे मृगलुब्धके ॥ ४६॥ बैडालव्रतिकेऽपि स्याद्धाराटश्चातकाश्वयोः । निर्दटो निर्दये न्यायवादरक्ते च निष्फले ॥ ४७॥ निष्कुटस्तु गृहोद्याने स्यात्केदारकपाटयोः । पर्पटस्तु द्वयोः पिष्टविकृतौ भेषजान्तरे ॥ ४८ ॥ चिपिट-भिगोयकर भूना हुवा धान्य, व्यंगट-शिक्य (छींका ) भेद, औष (पुं०) नेत्ररोगी, विस्तारवाला, धीभेद ( न०) (त्रि.) द्रोहाट-गाथाभेद, मृगका शिकारी, चिरंटी-सुहागिनस्त्री, दूसरी अव- ॥४६ ॥ बैडालवती (व्रतीभेद) स्थावाली स्त्री (स्त्री० ॥४३॥ (पुं०) जकुट-बैंगनका पुष्प,(न०) धाराट-पपीहा-पक्षी, अश्व, (पुं० ) जकुट-मलय-पर्वत, कुत्ता, (पुं० ) निर्दट-निर्दय-पुरुष, न्यायवादमें अत्रिकूट-समुद्रनमक, (न०) त्रिकूट-सुवेल नामका पर्वत,(पुं०)४४ । नुरक्त, निष्फल, (पुं०) ॥ ४७ ॥ त्रिपुट-तीर, मटर-धान्य, (पुं० )/ निष्कुट-घरका बगीचा, खेत, त्रिपुटा-मल्लिका ( मोतिया) भेद, किवाड़ (पुं० ) छोटीइलायची, निसोथ, ( स्त्री०) पर्पट-पापड़, औषधिभेद (पित्तपा॥ ४५ ॥ । पड़ा ) (पुं० न० ) ॥ ४८ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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