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________________ जद्वितीयम् । ] भाषाटीकासमेतः । नौ वत्सेनिकुञ्जेऽपि कुब्जो न्युब्जे द्रुमान्तरे । स्त्रियां तु खर्जूः खर्जूरवृक्षे कण्डूतिकीटयोः ॥ ५ ॥ वनौ सुरागृहे गञ्जा भाण्डागारे तुन स्त्रियाम् । गञ्जने पुंसि खजा तु मन्थे दवप्रहस्तयोः ॥ ६ ॥ गुञ्जा तु काकचिच्यां स्यात्पटहे च कलध्वनौ । द्विजो विप्रेऽण्डजे दन्ते भाङ्गरेणुकयोर्द्विजा ॥ ७ ॥ ध्वजोऽस्त्री लिङ्गखद्वाङ्गपताकाचिह्नशैौण्डिके । निजस्त्रिषु खके नित्ये न्युब्जो दर्भसुचि स्मृतः ॥ ८ ॥ न्युब्जं तु कर्मर स्यात् कुब्जाधोमुखयोस्त्रिषु । पिबपि पिञ्जा तूलहरिद्रयोः ॥ ९ ॥ व्याकुले वाच्यवत्पिञ्जः प्रजा सन्तानलोकयोः । भुजो भुजा च बाहौ स्यात् पाणिमात्रेऽपि तावुभौ ॥ १० ॥ | कुटज - कूबड़ा, वृक्षभेद, (पुं० ) खर्जू - खजूर-वृक्ष, खुजली, कीटविशेष, ( स्त्री० ) ॥ ५ ॥ गंजा - खान-चांदी आदिकी, मदिराका घर, ( स्त्री० ) भांडागार ( पुं० न० ) तिरस्कार, (पुं० ) बजा - दविआदि मथनेका डाँडा, कड़छी, चपेटा ( स्त्री० ) ॥ ६ ॥ गुंजा - घुघुची, ढोल, सूक्ष्मध्वनि (स्त्री० ) | द्वेज - ब्राह्मणआदिवर्ण, पक्षी, दाँत, ( ध्वजाभेद ), चिह्न, मदिरा बेचनेवाला, (पुं० न० निज - अपना, नित्य, (त्रि०) न्युब्ज - दर्भका ( कुशाका ) स्रुक् (यज्ञपात्र, ( पुं० ) ॥ ८ ॥ कमरख वृक्ष या फल, (पुं० न० ) कूबड़ा, नीचेको मुखवाला, (त्रि०) पिंज-‍ -मारना ( पुं० ) बल, ( न० ) पिंजा - रुई, हलदी (स्त्री० ) ॥ ९ ॥ पिंज-व्याकुल, (त्रि० ) प्रजा - संतान, स्त्रीपुरुषमात्र ( स्त्री० ) भुज-भुजा -- बाहु, हस्तमात्र, (पुं० स्त्री० ) ॥ १० ॥ ( पुं० ) द्वेजा-भारंगी - औषधि, मटर - अन्न ( स्त्री० ) ॥ ७ ॥ ज - लिंग, शिवका अस्त्र, पताका "Aho Shrutgyanam" ६७ ० ) जन,
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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