SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 251
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भद्वितीयम् । भाषाटीकासमेतः। २३७ भद्वितीयम् । -कुम्भो राश्यन्तरे घटे ॥ २ ॥ . समाधौ गजमूर्तीशे कुम्भकर्णसुते विटे । कुम्भी स्यात्पाटला वारिपर्णी पिठरकटफले ॥ ३ ॥ कुम्भं गुग्गुलुवृक्षे स्यात्रिवृतायां च न द्वयोः । गर्भो भ्रूणेऽर्भके कुक्षौ सन्धौ पनसकण्टके ॥ ४ ॥ जम्भो दन्तेऽपि जम्बीरे दैत्यभेदेऽपि भक्षणे । जुम्भो विकासे पुंस्येव जृम्भस्तु त्रिषु जम्भणे ॥ ५ ॥ डिम्भस्तु बालिशे पोते दम्भः कैतवकल्कयोः । इन्भूः सूर्ये पवौ नाभिर्ना क्षत्रे चक्रवर्तिनि ॥ ६ ॥ द्वयोः प्रधानचक्रान्तःप्राण्यङ्गेषु मदे स्त्रियाम् । निभस्तु सदृशे व्याजे संपूर्वः स्तुल्य एव सः ॥ ७॥ भद्वितीय। मुंभ-खिलना-पुष्प आदिका, (पुं०) कुंभ-कुंभ-राशि, घट, ॥ २ ॥ स- जॅभाई, (त्रि.) ॥ ५ ॥ साधि, हस्तीका मस्तक-भाग, कुंभ- डिम्भ-मूर्ख, बालक, (पुं० ) कर्णका पुत्र, कामी, (पुं०) दम्भ छल, कल्क ( तिलपीठी आदि) कुंभी-पाढरका-पुष्प, जलकुंभी, ना- (पुं० ) गरमोथा, कायफल, (स्त्री०)॥३॥ इन्भू-सूर्य, वज्र, (पुं०) कुंभ-गूगल-वृक्ष, निसोत, (न०) नाभि-चक्रवर्ती क्षत्रिय, नाभिराजा, गर्भ-गर्भ ( भ्रूण), बालक, कुक्षि, ॥ ६ ॥ प्रधान, चक्रका मध्य सन्धि, फनसका कांटा, (पुं०)। भाग, प्राणियोंका अंग ( Vडी ), ॥४॥ कस्तूरीमद, (स्त्री.) जम्भ-दांत, जम्बीरी नीबू, एक निभ-संनिभ-सदृश, व्याज (बदैत्य, भक्षण, (पुं० ) हाना) (पुं० ) ॥ ७॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy