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________________ पचतुर्थम् ।] भाषाटीकासमेतः। रक्तपा स्याज्जलौकायां रक्तपस्तु क्षपाचरे । विकल्पो विचिकित्सायां विकल्पो भ्रान्तिपक्षयोः ॥ २२ ॥ विटपोस्त्री लतास्तम्बखिगविस्तारपल्लवे । पचतुर्थम् । अपलापोऽपलपने प्रेमापहवयोरपि ॥ २३ ॥ अभिरूपो बुधे रम्ये प्राप्तरूपसुरूपवत् । अवलेपस्तु दोषे स्याद्र्वे लेपे च सङ्गमे ॥ २४ ॥ उपतापो मतः पुंसि गदोत्तापत्वरार्थकः । उपयापो विक्षेपे स्यात्तथा भेदेऽवदारणे ॥ २५॥ जलकूपी पुष्करिण्यां कूपगर्भेऽपि सा स्मृता । नागपुष्पस्तु पुन्नागे चम्पके नागकेसरे ॥ २६ ॥ परिकम्पे मतो भीती परिकम्पः प्रकम्पने । परीवापो जलस्थाने पर्युप्तौ च परिच्छदे ॥ २७ ॥ रक्तपा-जोक, (स्त्री०) अवलेप-दोष, अभिमान, लेपन, रक्तप-राक्षस, (पुं०) ___ संगम (मिलाप) (पुं० ) ॥२४॥ उपताप-रोग, उत्ताप (बहुतखेद ), विकल्प-संदेह, श्रांति, पक्ष, (क शीघ्रता (पुं०) ल्पना) (पुं० ) ॥ २२ ॥ उपयाप-विशेष (भेद), विदीर्ण विटप-बेल, गुच्छा, कामिशिरोमणि, करना, फोटना, (पु.)॥ २५ ॥ विस्तार, पल्लव ( पत्ते ) (पुं० ) जलकूपी-नदी, कूवाका गर्भ (बीच) पचतुर्थे । (स्त्री० ) नागपुष्प-पुन्नाग-वृक्ष, चंपा, नागअपलाप-खोटाबोलना, प्रेम, छुपाना, केसर, (पुं० ) ॥ २६ ॥ (पुं०) ॥ २३ ॥ परिकंप-भय, कॉपना (पुं०) अभिरूप-प्राप्तरूप-सुरूप-पंडित, परीवाप-जलस्थान, अच्छी तरह मुंदर, (पुं०) बीजबोना, परिवार, (पुं०) ॥२७॥ --... --- "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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