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________________ २३० विश्वलोचनकोश: [पान्तवर्गेकच्छपः कमठे काष्ठे मल्लभेदेऽपि कच्छपः। कच्छपी तु डुलौ क्षुद्ररुग्भेदे वल्लकीभिदि ॥ १६ ॥ कलापः संहते बर्हे काव्यादौ तूणवृन्दयोः । भक्ते वस्त्रे च कशिपुरेकोक्त्या तूभयोरपि ॥ १७ ॥ काश्यपी तु क्षितौ मीनमुनिभेदे तु कश्यपः। कुटपोऽस्त्री मानभेदे कुटपो निष्कुटे मुनौ ॥ १८ ।। विदारिकायां कुणपी पूतिगन्धौ शवे पुमान् । कुतपो भागिनये स्यादष्टमांशे दिनस्य च ॥ १९ ॥ कुतपस्तपने छागकम्बले कुशवाद्ययोः । जिह्वापः शुनि माजोरे व्याघ्रपादपयोरपि ॥ २० ॥ पादपः पादपीठेऽद्रौ पादगण्डे च पादपः। पादपा पादुकायां स्यात्प्रतापः खेदतेजसोः ॥ २१ ॥ कच्छप-कछुवा, काष्ठ, मल्लभेद, कुणपी-विदारीकंद, (स्त्री) (पुं०) कुणप-दुर्गंधवाला मुर्दा, (पुं० ) कच्छपी-कछवी, क्षुद्ररुग्भेद, वीणा - कुतप-भानजा, दिनका आठवां भेद, (स्त्री.)॥१६॥ __ भाग, ॥ १९ ॥ कलाप-इकट्ठाहुवा, मोरपंख, कांची (करथनी )आदि, बाणोंका माथा, सूर्य, बकरेके ऊनका कंबल, कुशा, वृन्द, (पुं०) बाजा (पुं०) कशिपु-अन्न, वस्त्र, अनवस्त्र, (पं.) जिह्वाप-कुत्ता, बिलाव, बघेरा, वृक्ष, ॥ १७ ॥ (पुं० ) ॥ २० ॥ काश्यपी-पृथ्वी, (स्त्री.) पादप-पादपीठ (पैरोंकीचौकी ), कश्यप-मीनभेद, मुनिभेद, (पु.) पर्वत, गंडशैल (पर्वतसे गिरा कुटप-मानभेद, घरके समीप ल- बड़ा पत्थर ) (पुं.) गाया हुवा बाग, मुनि, (पुं०) पादपा-खडाऊं, (स्त्री०) ॥ १८॥ प्रताप-पसीना, तेज, (पुं०)॥२१॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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