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________________ नतृतीयम् । ] भाषाटीकासमेतः। १९९ पवनोऽस्त्री कुलालस्य पाकस्थानेऽनिले पुमान् । निर्विकल्पेऽपि पवनः पक्ष्म लोचनलोमनि ॥ ८४ ॥ पक्ष्म सूत्रादिसूक्ष्मांशे पक्ष्म स्यात्केशरेऽपि च । पावनं तु जले कृच्छ्रे पावकाध्यासयोः पुमान् ॥ ८५॥ पाठीनस्तु वदाले स्यादपि चित्रवदालके । पाठके गुग्गुलुद्रौ च प्रायश्चित्ते तु पाचनम् ॥ ८६ ।। पाचनी तु हरीतक्यां पाचनो वह्निसिहयोः । पावनं पावयितरि त्रिषु पूतेऽपि पावनम् ॥ ८७ ॥ वरुणे पुंसि स्यात्पाशी पाशी पाशधरेऽन्यवत् । पिशुनो नारदे पुंसि खलसूचकयोस्त्रिषु ॥ ८८ ।। पिशुनं कुङ्कुमे क्लीवं पृक्कायां पिशुना मता। पीतनः कपिचूते स्यात्पीतनं पीतदारुणि ॥ ८९ ॥ पवन-कुम्हारका पाकस्थान, वायु, । पाचनी-हरड़, (स्त्री०) ___ निर्विकल्प, (पुं०) पाचन-अमि, हींग, (पुं०) पक्ष्म-नेत्रोंके लोम, ॥ ८४ ॥ सूत्र पावन-पवित्र करनेवाला, पवित्र, आदिका सूक्ष्म अंश, केशर, (न०)। (त्रि०) ॥ ८७ ॥ पावन-जल, कृच्छ-व्रत आदि, अग्नि. पाशिन्-वरुण, (पुं०) फाँसीधार अध्यास, (जैसे रज्जुमें सर्प) (पुं०) णकरनेवाला, (त्रि.) ॥ ८५॥ पिशुन-नारदमुनि, (पुं० ) खल, पाठीन-मत्स्यभेद, चितकबरामत्स्य- चुगलखोर, (त्रि०) ॥ ८८ ॥ भेद, पढानेवाला, गूगल-वृक्ष,(पुं०) पिशुन-कुंकुम ( केसर ) (न०) पाचन-प्रायश्चित्त ( दोषदूरकरनेके- पिशुना-असवरग-शाक, लिये पुण्यकर्म ) (न.)॥ ८६ ॥ | पीतन-अंबाड़ा, पीतवृक्ष ॥ ८९ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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