SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 346
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पौषस्य शुक्लषष्ठीजो गर्भा भाद्रपदाऽसिते । माचे पवलसतम्या पाश्विनाशुक्लशुक्लयोः ॥११॥ लोकेऽपि-प्रासाडे सिहरा करे, बजे उत्तर पाय । तर जाणे काती थकी, दसमे मास विहाय ॥१२॥ पोस अंपारि आठमि, विणुजल प्राभा छांह। सावण सुदि साममि, जलघर दीधी बांह ॥५३॥ पोसह छहे हुइ घणसारो, तो बरसे भदव अंधारो। माहीसप्तमी सत्तेजोइ,इणगुण निरतो घरसे आसोह॥५४॥ पोसदशमी जो मेह संभारे, तो वरसे भदव अंधारे । माही सातमी गम्भी दीसे, आसू वरसे दीह यत्तीसे ॥५॥ छट्टि इगारसि पूनिम पूरी, पोसअमावसि होइ अनीरी। इम जपेसवि पढिया पंडिय, वरसे मेह असाढ अखंडिय॥५६॥ पोसअंधारी सातमे, जइ घण नवि वरसेड। गर्भ भाद्रकृष्ण में बरसता है ॥ ५० ॥ पौषशुक्ल षष्टी का गर्भ भाद्रपदकप्रणपक्षमें बरसता है । माघशुक्ल सप्तमीका गर्भ पालोज कृष्ण और शुक्ल ये दोनों पक्षमें बरसता है।॥ ५१ ॥ . आषाढमें गर्जना हो और उत्तरदिशाका यायु चले तो भाद्रपद में वर्षा. हो ॥५२॥ पौष कृष्णअष्टमीको आकाश बादलों से आच्छादित हो किंतु वर्षा न हो तो श्रावण शुक्ल सप्तमीको वर्षा हो ॥५३॥ पौष मासकी षष्ठीके दिन वर्षाका गर्भ हो तो भाद्रपदका कृष्णपक्षमें वर्षा हो । माघ शुक्लसप्तमी को वर्षाके गर्भ हो तो आसोजमासमें निरंतर वर्षा हो ॥५४॥ पौष दशमी को मेघाडंबर हो तो भाद्रपदके कृष्णपक्ष में वर्षा हो । माघ मासकी सप्तमी को वर्षाके गर्भ हो तो पासोज महीनेके बत्तीम दिन वर्षा हो ॥५५॥ पौष मासकी षष्टी एकादशी पूर्णिमा और अमावास्याके दिन गर्मकी परिपूर्णता हो सो आषाढमासमें अविच्छिन मेघ बरसे ऐसे सब पंडित कहते हैं ॥५६॥ पौष "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy