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________________ (३२२) मेघमहोदये यदाह वराहःसितपक्षभवाः कृष्णे कृष्णाः शुक्ले चुसम्भवा रात्रौ । नक्तं प्रभवाश्चाहनि सन्ध्याजाताश्च सन्ध्यायाम् ||२६|| मार्गसिताद्या गर्भा ज्येष्ठाऽसितपक्ष के प्रसुवतेऽब्दम् । तत् कृष्णपक्षजाता आषाढसिते प्रवर्षन्ति ॥ २७॥ पौषसितोत्था गर्भा आषाढस्यासिते व मेघकराः । पौषस्थ कृष्णपक्षाद् विनिर्द्दिशेच्छ्रावणस्य सिते ||२८|| मार्गसितायाः कतिचित् पतन्ति करकानिलादिकोत्पातैः । मार्गासितजा गर्भा मन्दफलाः पौषशुक्लजाताश्च ॥ २६ ॥ माघसितोत्था गर्भा श्रावणकृष्णे प्रसूतिमायान्ति । माघस्य कृष्णपक्षेण विनिर्दिशेद् भाद्रपद शुक्लम् ॥३०॥ फाल्गुन शुक्ल समुत्था भाद्रपदस्यासिते विनिर्देश्याः । तस्यैव कृष्णपक्षोद्भवाः पुनञ्चाश्वयुजि शुक्ले ॥३१॥ का. शुक्लपक्ष में पैदा हुआ गर्भ कृष्णपक्ष में और कृष्णपक्षमें पैदा हुआ गर्भ शुपक्ष, दिनका गर्भ रात्रि में और रात्रिका गर्भ दिनमें, तथा सन्धाकाल गर्भ संध्यासमय में प्रसवता है ॥ २६ ॥ मार्गशीर्ष शुक्रनक्षमें उत्पन्न हुआ। गर्भ ज्येष्णपक्ष में प्रसवता हैं और मागशीर्ष कृष्णपक्ष में पैदा हुआ गर्भ भाषाढ शुक्राक्ष प्रसवता है याने बरसता है ॥ २७ ॥ पौषशुक्र पैदा हुआ गर्भ आषाढकृष्ण रक्ष और पौषकृष्णपक्षका गर्भ श्रावण शुक्लपक्षमें बरसता है ॥ २८ ॥ मार्गशिरशुक्लपक्ष में पैदा हुआ गर्भ कभी ओला और वायु आदि का उत्पासों से गिर जाता है। मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष में और पौषशुक्रपक्ष में उत्पन्न हुआ गर्भ सन्दफलदायक है || २६ ॥ मावशुक्रक्षमें उत्पन्न हुआ गर्भ श्राव कृष्णपक्ष में और माघकृष्णपक्षका गर्भ भाद्रपदका शुक्लपक्ष में प्रसवता है ॥ ३० ॥ फाल्गुन शुक्लपक्षमें उत्पन्न हुआ गर्भ भाद्रपदका कृष्णपक्षमें और फाल्गुन कृष्णपक्षका गर्भ आश्विन शुक्लपक्ष में बरसता है ।। ३१ ।। चैत्रशु "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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