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________________ मेघमहोदये तदा सुभिक्षमादेश्यं देशे क्षेमं सुखं बहु ॥३३४॥ सप्तम्यादिनये साभ्रे गर्ने कुशलनिश्चयः । अमावास्यां भाद्रपदे जलं सुलभमन्दतः ॥३३॥ फाल्गुने शुक्लप्तप्सम्यां पौर्णिमास्यां तथा दिने । निर्वातं गगनं मेघा विजला विद्युदन्विताः ॥३३६॥ भविष्यवत्सरे तत्र सुभिक्षं क्षेममादिशेत् । भाद्रेऽसौ कृष्णसप्तम्यां दशैं गर्भफलं जलम् ।।३३७।। नव्यास्तु-समये चेद् हुताशन्या ज्वलनस्यास्ति वादलम्। गोधूमकुंकुमापातान्महर्घ धान्यमादिशेत् ॥३३८॥ दशम्येकादशीशुक्ले फाल्गुनेऽभ्रादिगर्भयुक्। . तदा चतुर्थपञ्चम्पा-माश्विने वृष्टिदायिनी॥३३॥इति। पीताब्धेरुदयास्तसङ्गमफला-दारभ्य लभ्यंधिया, . मासद्वादशकस्य वार्दलबलं यावन्मया वाङ्मयात् । हो तो मुभिक्ष, देशमें कल्याण और सुख अधिक हो ॥ ३३४ ॥ सप्तमी मादि तीन दिन बादल रहे तो मेचके गर्भ में कुशलता जानना ऐसा होनेसे भाद्रमासकी अमावास्याको वर्षा हो ॥ ३३५ ।। फाल्गुन शुक सप्तमी और पूर्णिमा के दिन वायु रहित आकाश हो, विजला चमके और वर्षा रहित बा. दल हो तो ॥ ३३६ ।। अगले वर्ष मुभिक्ष और कल्याण हो, यही गर्भ भाद्रकृष्ण सप्तमी और अमावसको जल बरसावे ।। ३३७॥ यदि होली ज. लने के समय बादल हो तो गेहूं, कुंकुम और धान्य महँगे हो । ३३८॥ फाल्गुन शुक्ल दशमी, एकादशी के दिन बादल हो तो गर्भ के निमित्त है यह आश्विनकी चतुर्थी पंचमी के दिन वर्षा को करनेवाला है ।।३३६॥ इति फाल्गुनमासफलम् ॥ अगस्तिका उदय और अस्तका फलादेश से प्रारंभकर नारह महीनोंके बादलोंका उदय तक का फल शास्त्रसे और बुद्धिसे मानकर, वायु और वर्षा "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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