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________________ (१४) मेघमहोदय माह काली अट्ठमी, चंदो मेहच्छस । तो मैं बोल्यो भडुली, वरसे काल संपन्न ॥३२५॥ माधे कृष्णनवम्यां च मृलक्षदिनेऽथवा। विद्युन्मेघो धनुर्योगे चार्नमसि संकृते ॥३२६॥ एतस्माद् गर्भतो वृष्टि-र्भाविवर्षेऽभिजायते । भाषाढे वा भाद्रपदे नवमीदिवसे शुभा ॥३२७॥ माघमासे व सप्तम्यां कृष्ण त्रयोदशीइये। पूर्वस्यामुमते मेवे वार्दलैः संकुलेऽपि खे ॥३२८॥ बहूदककरा दृष्टि-राषाढे सप्तरात्रिकी । अमावस्यामभ्रयोगाद् भाद्रेऽब्दे पूर्णिमादिने ॥३२१॥ माघे शुलपतिपदि परं वार्दलैस्तैलगन्धा ख्यानामधं परिदिनभवे धान्यकृन्दं महर्घम् । सामुद्रं श्रीफलमहिलता-पत्रमुख्यं महर्घ, माघकृष्ण अष्टमी को चन्द्रमा बादलोंसे आच्छादित हो तो अच्छा समय हो॥३२॥ माघकृष्ण नवमी को तथा मूलनक्षत्र के दिन और धनुसंक्रांति के दिन आकाश बादलोंसे आच्छादित रहे तथा बिजली चमके और वर्षा होतो ॥ ३२६ ॥ इस गर्भसे अगला वर्षमें आषाढ और भाद्रमासकी नवमी के दिन मच्छी वर्षा अवश्य हो ॥३२७॥ माघकृष्ण सप्तमी और त्रयोदशी आदि दो दिन पूर्वदिशामें मेघका उदय हो और बादलों से आकाश भाच्छादित रहे तो ॥३२८॥ आषाढ मास में सात दिन तक बहुत जलदा. यफ वर्षा हो । अमावास्याको मेघका उदय हो तो भाद्रमासकी पूर्णिमाके दिन वर्षा हो ॥ ३२६ ॥ माघशुक्ल प्रतिपदा और दूज को बादल हो तो सैल, सुगंधीवस्तु और धान्य तेजभाव हो । यदि तृतीया को वर्षा न हो परन्तु भाकाश मेघके बादलों से विरा रहे तो लवण, श्रीफल और नागरवेल के "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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