SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 325
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वर्षराजादिकफलम् (३०५) मार्गस्य शुक्लद्वादश्या-ममायामय वर्षणम् । तदा वर्षे शुभं भावि भावनीयं सुभावनैः ॥२७१॥ इति । पौषमासफलम्--- कृष्णाष्टम्यां पौषमासे यदा वृष्टिर्न जायते । तदााऽर्कसमायोगे एकीकुर्याज्जलैः स्थलम् ॥२७२॥ पौषे कृष्णदशम्यां चेद् रात्रौ वर्षति वारिदः । तदा भाद्रपदे मासे वृष्टिर्भवति भूयसी ॥२७३।। पौषे विद्युच्चमत्कारो गर्जिताभ्रादिसम्भवः । जानीयानिश्चितं तेन जगत्यां मेघदोहदः ॥२७४॥ विद्युच्चमत्कृतिवर्षा पौषे वादलसम्भवात् । मेघस्यवर्द्धते गर्भो जगदानन्ददायकः ॥२७५॥ वृष्टे मेघे पौषषष्ठयां भाद्रे कृष्णे घनोदयः। पौषशुक्ले मेघवृष्टौ श्रावणे स्यादवर्षणम् ॥२७६॥ सप्तम्यादित्रये पौषे शुक्ले विद्युच्च गर्जितम् । की शुक्ल द्वादशी को या अमावसको वर्षा हो तो अगला वर्ष शुभ हो ॥ २७१ ॥ इति मार्गशीर्षमासफलम् ॥ पौष कृष्ण अष्टमीके दिन यदि वर्षा न हो तो सूर्यका आके संयोग में जल स्थल एकही हो जाय याने आर्किमें अच्छी वर्षा हो ॥ २७२ ॥ पौष कृष्णदशमीको रात्रिमें वर्षा हो तो भाद्रमास में बहुत वर्षा हो ॥२७३॥ पौष मासमें बिजली चमके, गर्जना और वादल आदि हो तो पृथ्वीमें मेघ का गर्भ रहा जानना ॥ २७४|| पौष में बिजली चम्के, वर्षा तथा बादल हो तो जगत को आनंद देनेवाला मेघ का गर्भ वृद्धि को प्राप्त होता है ।। २७५।। पौष मासकी षष्ठीके दिन वर्षा हो तो भाद्रमास के कृष्णपक्ष में वर्षा हो । पौष शुक्लमें वर्षा हो तो श्रावणमें वर्षा न हो ॥ २७६ ॥ पौष शुक्ल सप्तमी आदि तीन दिन बिजली और गर्जना हो तो सुख संपदा देने ३६ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy