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________________ (३०४) मेघमहोदय पञ्चम्यां पौषमासस्य सप्तम्यां माघमासके ॥२६४॥ धाराधरो यदा वृष्टिं कुरुते वासुगर्जितम् । तदा च श्रावणे मासे सलिलं नैव दृश्यते ॥२६॥ कार्तिके च द्वितीयायां तृतीयानवमीदिने । एकादश्यां त्रयोदश्या-मभ्राद् वृष्टिर्घनो महान् ।।२६६। कार्तिके यदि संक्रान्तेः पर्यन्ते दिवसद्धये । महावृष्टिस्तदा वर्षे शुभा भाविनि वत्सरे ॥२६७॥ इति । मार्गशोपनासफलम् ..मार्गशीर्षप्रतिपदि न विद्युन्नैव गर्जितम् । न वृष्टिश्चेत् तदा गर्भ कुशलं कुशलोदितम् ॥२६८॥ चतुर्थामथ पञ्चम्यां मागशीर्षस्थ वादलम् । तदा भाविनि वर्ष स्याद् वर्षापूर्ण महीतलम् ॥२६९॥ मार्गशीर्षस्थ सप्तम्यां नैर्मल्यं चेदिवानिशम् । धान्यं महंघ वैशाखे साभ्रतायां मर्पता ॥२७०॥ म.सकी पंचमी को और माघमासकी सप्तमीको ॥ २६४ ॥ यदि वर्मा या गर्जना हो तो श्रावणमास में जल कुछ भी नहीं बरसे ॥ २६५ ॥ कार्तिक मासकी द्वितीया, तृतीया, नवमी, एकादशी और त्रयोदशी के दिन वर्षा हो तो अधिक वर्षा हो ॥ २६६ ॥ यदि कार्तिकमास में संकान्तिसे दो दिन पर्यन्त वर्षा हो तो उस वर्ष में वर्षा अधिक हो और अगला वर्ष शुभ हो ॥२६७॥ इति कार्तिकमालफलम् ॥ ___मार्गशीर्थ की प्रतिपदा के दिन बिजली न चमके, गर्जना और वर्षा भी न हो तो मेघके गर्भ कुशल रहे और सब कुशल हो॥२६८मार्गशीर्ष की चतुर्थी और पंचमी के दिन बादल होतो अगला वर्ष में पृथ्वी वर्षासे पूर्ण हो॥२६६।मार्गशीर्ष सप्तमी को दिन और रात्रि निर्मल रहे तो वैशाख में धान्य महँगे हो और बादल सहित हो तो धान्य महँगे हो ॥२७०॥ मार्गशीर्ष "Aho Shrutgyanam
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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