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________________ वर्षराजादिकफलम् (२८) राज्ञां स्वपक्षदेशीया रिष्यः परपक्षगाः ॥११॥ वारफलम्-- रोद्रे रवर्भानुवारे प्रवेशः पशुनाशनः ।.. सोमे सुभिक्षदः प्रोक्तो भौमे निधनमामुयात् ॥१२०॥ बुधे क्षेमं सुभिक्षं च गुरौ चार्थसमृद्धये। ... शुक्रे शानिलकरः प्रोक्तो मन्दे मन्दफलं भवेत्॥११॥ नक्षत्रयोगफलम्----- . . प्रविष्टे रौद्रनक्षत्रे त्यश्चिन्यां तुःशुभं भवेत् । भरण्यामशुभं प्रोक्तं कृत्तिकायामवर्षणम् ॥१२२॥ धातृखये सुमितं च रौद्र रौद्रकृद् भवेत् । षुष्ये जलप्लुता लोका अदितिश्चाभिवृद्धये ॥१२३॥ सा भेदारुणं दुःखं सर्वसौख्यक्निाशनम्। मघायां स्वल्पवृष्टिः स्याद् भाग्ये कीर्तिकरं भवेत् ॥१२४॥ के भी शत्रु के पक्षमें मिल जावें ॥ ११६ ॥ सूर्यका आर्द्रा नक्षत्र में रविवारके दिन प्रवेश हो तो पशुओंका नाश करें, सोमवार के दिन सुभिक्ष और मंगल के दिन मरण करे ॥ १२० ॥ बुधवार के दिन क्षेम और सुभिक्ष करे, गुरुवार के दिन अर्थसिद्धि हो,शुक्र के दिन शान्तिदायक और शनिवार के दिन प्रवेश हो तो मंदफल दायक है ।। १२१ ॥ सूर्य आ नक्षत्र में अश्विनीनक्षत्र के दिन प्रवेश हो तो शुभ, भरणी नक्षत्रके दिन अशुभ, कृत्तिकाके दिन वर्षा का नाश हो । १२२।। रोहिणी और मृगशिरके दिन सुभिक्षकारक, आद्रांक दिन भयानक, पुनर्वसुके दिन वृद्धिकारक, पुष्यके दिन प्रवेश हो तो देश जल से प्लवित हो याने अच्छी वर्षा हो ॥१२३॥ आश्लेषा के दिन भयंकर दुःख और समस्त सुखों का विनाश, मघाके दिन थोड़ी वर्षाकारक और पूर्वाफाल्गुनीके दिन कीतिकारक "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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