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________________ (२८०) मेघमहोदये. नीरसेशो यदा जीवः सर्वेषां प्रीतिरुत्तमा ॥११३॥ . कर्परागरुगन्धानां हेममौक्तिकवाससाम् । अर्घवृद्धिः प्रजायेत मन्दे नीरसनायके ॥११४॥ अथ मेघादिप्रसंगाद् भाद्रीप्रवेशे तिथ्यादिफलं जगन्मोहने प्रतिपद्यपि चार्टायां प्रवेशः शुभदो रवेः। द्वितीयायां सस्यवृद्धि-स्तृतीयायामोतिकारणम् ॥११५॥ चतुर्थ्यामशुभः प्रोक्तः पञ्चम्यामुत्तमोत्तमः। ... षष्ठयां धनसमृद्धिः स्यात् सप्तम्यां क्षेममुत्तमम् ॥११६॥ अष्टम्यामल्पवृद्धिः स्या-नवम्यामीतिबाधनम् । दशम्यां शुभदः प्रोक्त एकादश्यां सुभिक्षकृत् ॥११७॥ द्वादश्यामन्नसम्पत्यै त्रयोदश्यां जलप्रदः। भूते त्वर्थविनाशाय पूर्णा पूर्णफलप्रदा ॥११८॥ .. अमायां राज्यनाशाय पक्षयोरुभयोरपि। हो तो हल्दी आदि सब पीत वस्तु और पीतवस्त्र की वृद्धि हो, सबके उपर उत्तम प्रीति हो । शुकका फल भी इसी तरह समझना ॥११३॥ शनि रसाधिपति हो तो कपूर अगर अ.दि सुगंधित वस्तुओं की तथा सुवर्ण मोती और वस्त्र इनकी मूल्यवृद्धि हो ॥ ११४॥ - सूर्य प्रार्द्रा नक्षत्र पर यदि प्रतिपदाको प्रवेश करे तो शुभ दायक है, द्वितीयाको धान्य वृद्धि, तृतीयाको ईतिका भय ॥ ११५॥ चतुर्थीको अशुभ, पंचमी को उत्तम, षष्ठी को धनसमृद्धि, सप्तमी को कुशल ॥११६॥ अष्टमी को वर्षा थोड़ी, नवमी को ईतिका उपद्रव, दशमी को शुभदायक, एकादशी को शुभिक्ष कारक ॥११७॥ द्वादशीको धान्यसंपत्ति, त्रयोदशीको जलदायक, चतुर्दशीको अर्थनाशकारक, पूर्णिमाको पूर्णफलदायक हो ॥११८। और अ. . मावस के दिन मार्दा नक्षत्र पर सूर्य मावे तो राज्यका नाश हो, स्वपक्षीय भौर पर (शत्रु) पक्षीय ये दोनों पक्षके राज्यका विनाश हो और अपनी पक्ष "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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