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________________ अयनमासपक्षदिननिरूपणम् द्विचत्वारिंशत् तूर्येहि वृष्टौ वृष्टिन जायते । पञ्चमे त्रिंशदेवात्र नवाहमाहिता मता ॥१२४॥ चतुर्विंशदिनानां हि षष्ठेऽहि नहि वर्षणम् । एकत्रिंशत् सप्तमेऽहि नवमे चाष्टविंशतिः ॥१२॥ दशमेऽहि चतुर्विश-त्येकादशदिनेऽम्बुदे । दिनानामेकविंशत्या षोडशद्वादशेऽहनि ॥१२६॥ त्रयोदशदिने पृष्टौ दिनद्वादशके पुनः । वृष्टिरोधः पयोदस्य ततो मेघमहोदयः ॥१२७॥ मतान्तरेपहिले चरण यहोत्तर दीह, थीजे यासहि न टले लीह । तीजे बावन्न चोथ ययाल,रोहिणी खंच करे तिणकाल १२८ अथ वृष्टिसर्वाग्रदिनसंख्या----- पञ्चाशदिवसा वृष्टिर्षिदीपोत्सवे रवौ। हो तो ३६ दिन वर्षा न हो ॥ १२४ ।। छठे दिन वर्षा हो तो ३४ दिन वर्षा न हो । सातवें दिन वर्षा हो तो ३१ दिन वर्षा न हो । नववें दिन वर्षा हो तो २८ दिन वर्षा न हो ॥ १२५।। दशवें दिन वर्षा होतो २४ दिन वर्षा न हो । ग्यारहवें दिन वर्षा हो तो २१ दिन बाद वर्षा हो । बारहवें दिन वर्षा हो तो १६ दिन बाद वर्षा हो ॥ १२६ ॥ तेरहवें दिन वर्षा हो तो १२ दिन तक वर्षा न हो, बाद में वर्षा हो ॥१२७॥ प्रकारान्तरसे-रोहिणीके प्रथम चरण पर सूर्य रहने पर वर्षा हो तो ७२ दिन नहीं बरसे वाद वर्षा बरसे । दूसरे चरणमें वर्षा हो तो ६२ दिन बाद वर्षा हो । तीसरे चरण में वर्षा हो तो ५२ दिन और चौथे चरणमें वर्षा हो तो ४२ दिन तक वर्षा न हो बाद वर्षा बरसे ॥ १२८॥ यदि दीपमालिका (दीवाली) के दिन रविवार हो तो उस वर्ष ५० दिन वर्षा हो । सोमवार हो तो १०० दिन, मंगलवार हो तो ४० दिन "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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