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________________ (२२६) मेघमहोदये पुष्ये मासैस्त्रिभिाभो भवेद् गोधूमसङ्कहे। आश्लेषायां तु मुद्रेभ्यः प्राप्तिः स्यान्मासपश्चके ॥५३॥ मघाचतुष्टये चोला चणकाः खलु तुष्टये। चित्रायां च युगन्धर्या मासो लाभस्यात्यये ॥५४॥ त्रिपश्चनवभिर्मासैः स्वातौ लाभस्तथा तया । विशाखायां कुलित्थेभ्यः षण्मासे लाभसम्भवः ॥५॥ राधायां कोद्रवाल्लाभो मासैनैवभिराप्यते । ज्येष्टायां गुडखण्डादेः पञ्चमासे धनोदयः ॥५६॥ तन्दुले यस्तथा मूले पूषायां श्वेतवस्त्रतः । उषायां श्रीफलात् पूग्याः सर्वत्र मासपश्चकम् ॥५॥ श्रवणे तुवरीलामो धनिष्ठायां तु माषतः । चणकेभ्योऽपि वारुण्यां तेभ्यः पूभानि पीडने ॥१८॥ लाभस्त्रिमासे निर्दिष्ट-मुभाभ्यां लवणादितः ।. महँगा हो, पांचवें महीने में लाभ हो । पुनर्वसुमें पांच मास पीछे तेल से लाभ हो ॥५२।। पुष्यमें गेहूँ के संग्रहसे तीन महीने में लाभ हो। आश्लेषामें पांचवें महीनेमें मूंगसे लाभ ॥५३॥मवा पूर्वाफाल्गुनी उत्तराफालानी और हस्त इन चार नक्षत्रों में ग्रहण हो तो चोला और चणा आदिसे लाभ हो । चित्रामें ज्वार से दोनास पीछे लाभ हो ॥५४॥ उससे स्वातिनक्षत्रमें तीसरे पांचवें या नव महीने में लाभ हो । विशाखामें कुलथीसे छढे महीनेमें लाभ हो ॥ ५५ ॥ अनुराधा कोद्रव (कोदों) से नौ महीनेमें लाभ हो। ज्येष्ठामें गुड खांड आदिसे पांचवें महीने लाभ हो ॥ ५६ ।। मूलमें चावलोंसे, पूर्वाषाढामें श्वेत (सफेद) वस्त्रोंसे, उत्तराषाढामें श्रीफल और सोपारी से पांचवे महीने लाभ हो ॥५७॥ श्रवणमें तुवर (अरहर) से, धनिष्ठामें उडद से, शतभिषा और पूर्वाभाद्रदमें चनोंसे लाभ हो ॥५८|| उत्तराभाद्रपदमें लवणसे तीसरे म. हीने लाभ हो । रेवती नक्षत्रमें ग्रहण हो तो मूंग और उड़दसे छट्टे महीनेमें "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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