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________________ (२०४) मेघमहोदये च्छानां परस्परं युद्धं, पातिसाहिगृहे क्लेशः, मालवदेशे तोडा आयान्ति, सर्ववस्तुमूल्यवृद्धिः, अहिफेनाल्लाभः, ज्येष्ठमासि वृद्धिः, अजमोदमेथी प्रमुख विक्रयः, रोगचालकः, वर्षा बहुला। 'इत्येतद् गौतमस्वामि'इत्यादि ॥८॥ - धने शनिस्तदा सर्वत्र महर्घता लोकदुर्घलः पिता पुत्रं विक्रीणाति, अन्ननाशः, पृथिव्यां निर्जलता, लोका व्याकुलाः, राशिभोगाद् मासषटकानन्तरं फलं धान्यसंग्रहः, अहिफेनाल्लाभः, तैलतिलदाणा गोधूमचणकचोखा खण्डालुंगडोडाअसालिग्रोअजमोद मेथी घृतं एतानि वस्तूनि महर्घाणि । श्रावणादिमासचतुष्टये मारीपीडा राजसुखं उत्तरापथे कटकचालकः । इत्येतद् गौतमस्वामि' इत्यादि ॥९॥ .. मकरे शनिस्तदाऽऽनन्दः सर्वत्र सुभिक्षं राजा निर्भय प्रारोग्यं समाधान तथा कपूरपारदजातिफललुंगटोपराहिंगुजीरकसोयाबिरहालीघृतलवणमहर्घता मूल्यवृद्धिराषाढादियुद्ध, पातशाही घर में कलह, मालवादेशमें टीड्डीका उपदन, संब वस्तु के मूल्यकी वृद्धि, अफीमसे लाभ, ज्येष्ठमें वृद्धि, अजवायिन मेथी आदि का व्यापारसे लाभ रोग फैले, वर्षा अधिक हो ॥८॥ जब धनराशिका शनि हो तब सब जगह तेज भाव, लोक दुर्बल, पिता पुत्रको बेचे, अन्नका नाश, पृथ्वी जलरहित, लोक व्याकुल, राशि भोग से छमास पीछे धान्यका संग्रहसे लाभ, अफीमसे लाभ, तेल तिल गेहूँ चण चावल खांड लोंग डोडा असालिया अजवाइन मेथी घी ये सब वस्तु तेज हो, श्रावणादि चार मास महामारीकी पीडा, राजसुख, उत्तरापथमें सैनाका उपद्रव ॥ ६॥ मकरराशिका शनि हो तब सब जगह आनंद और सुभिक्ष हो, राजा भयरहित , रोगरहित , कपूर पारा जायफल लोंग टोपरा हिंग जिरा सोआ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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