SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 216
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१९६) मेघमहोदये सर्वस्मिन् राजयुद्धं पशुधनहरणं कर्कटे सूर्यपुत्रे ॥ ६ ॥ पृथ्व्यां नश्यच्चतुष्पाद्द्वजय वृषभ - युद्धदुर्भिक्षरोगैः, पीडयन्ते सर्वदेशा उदधिपुरपथे दुर्गदेशेषु भङ्गः । म्लेच्छान्तो धान्यभावो धनसुखमवनी शेन्द्रचन्द्रप्रतापः, सर्वे ते यान्ति कालं भ्रमति युगमिदं सिंहगे सूर्यपुत्रे | ७| काश्मीर याति नाश हयखुरदलितं विग्रहं तत्र कुर्याद्, रत्नस्थं धातुरूप्यं गजहयवृषभं छागलं माहिषं च । मञ्जिष्ठा कुंकुमाद्यं रसकससहितं याति सर्वं समर्थ, कन्यायां सूर्यपुत्रे सकलजनसुखं संग्रहः सर्वधान्यम् ॥८॥ धान्यं यात्यूर्ध्वमात्रं गरगरलधराः क्लेशपूर्णाश्च देशा:, पृथिव्याकरूपमाता सकलमुनिवरे देहपीडापि नित्यम् | सर्वे ते यान्ति नाशं नरपुरनगरा-पम्बुदोऽप्यल्प एव चक्रावर्त्ती जनानां सुखधनरहितः सूर्यपुत्रे तुलायाम् ॥ ६ ॥ 3 शब्द युक्त जलका गिरना, पृथ्वी उससे टल ठल हो, लोकका विनाश, राजाओंमें युद्ध, पशु और धनका हरण हो ॥ ६ ॥ सिंहराशिमें शनि हो तो पृथ्वी में पशुओंका नाश हो, सब देश हाथी घोडा वृषभ आदि पशुओं से युद्ध तथा दुर्भिक्ष और रोगोंसे दुःखी हों, समुद्र तटके देशोंका म्लेच्छों से भंग हो, धान्य भाव अच्छा, राजाओं धनसे सुखी तथा इंद्र चंद्र के जैसे प्रतापवाले हों वे सब दुःखी होकर इस युगकालमें भ्रमण करें ||७|| कन्याराशिका शनि हो तो काश्मीर देशका नाश, व डेके खुरसे पृथ्वी चूर्णी हो ऐसा विग्रह हो, र धातु चांदी हाथी घोडा वृषभ बेकरी भैंस मँजीठ कुंकुन आदि सत्र एस कलवाले हों और सस्ते हों, मनुष्यों को मुख और धान्यका संग्रह करना चाहिये ॥ ८ ॥ तुला राशिका शनि हो तो धान्य मात्र ऊँचाही बडे, पृथ्वी रोगसे व्याकुल, देश सब क्रेशसे व्याप्त, पृथ्वी कम्पायमान, समस्त मुनि लोगों को भी सर्वदा देहपीडा हो, मनुष्य पुर नगर में "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy