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________________ गुरुचारप.हम राजानो युद्धनिरताश्चान्योऽन्यं वधकांक्षिणः ॥१४॥ पौषेऽब्दे सुखिनः सर्वे गुरुपूजारता जनाः । क्षेमं सुभिक्षमारोग्यं वृष्टिः कार्षकसम्मता ॥१५॥ माघः सम्पस्करोऽब्दः स्यात्.सर्वभूतहितोदयः । सम्यक् घर्षति पर्जन्यः सुभिक्षं च प्रजायते ॥१६॥ फाल्गुनान्दे चौरभीतिः स्त्रीणां दुर्भगता भृशम् । कचिद् वृष्टिः कचित्सस्य कचिद् भीरीतयः कथित् ॥१७॥ चैत्राब्दे भूभुजः स्वस्थाः स्त्रीषु चाल्पप्रजा भवेत्। .. अल्पवृष्टिः सस्यसम्पत् प्रजानां व्याधितो भयम् ॥१८॥ वैशाखेऽन्ने तु राजानो धर्ममार्गरताः क्षितौ । क्षेमं मुभिक्षमारोग्यं द्विजावाध्वरतत्पराः ॥१९॥ : ज्येष्ठाऽब्दे धर्ममार्गरथाः पीयन्ते सक्रियापराः। .. न च वर्षेत्तदा देवो भवेत् सस्यविनाशनम् ॥२०॥ 'आषाढादे तु राजानः सर्वदा कलंहोत्सुकाः । तत्पर हों ॥ १४ ॥ पौषवर्ष सब सुखी, मनुष्य गुरुजनोंकी पूजा करें, 'शेम सुभिक्ष तथा प्रारोग्य हों और किसानों के अनुकूल वर्घा हो ॥१५॥ माधवर्ष सब सम्पत्ति दायक है, इसमें अच्छी वर्षा और सुझाल होता है ॥ १६ ॥ फाल्गुनवर्षमै चोरोंका भय, स्त्रियोंकी दुर्भाग्यता, कहीं वर्षा, कहीं खेली, कहीं भय और कहीं इंतिका उपद्रव होता हैं ॥ १७ ॥ क्षेत्रवर्धमें राजा शान्त हो, स्त्री थोड़ी संतानवाली हों, थोड़ी वर्षा, धान्यकी प्राप्ति और प्रजाको रोगसे भय हो ॥ १८ ॥ वैशाखवपमें राजाओं पृथ्वीवर धर्म पूज्य करें, शेन सुभिक्ष और आरोग्य हों, तथा ब्राह्मण यज्ञकर्म में तत्पर हो ॥ १६ ॥ ज्येष्ठवर्षमें धर्ममार्ग और सक्रिया करनेवाले दुःखी हों, वर्षा नहीं होनेसे धान्यका विनाश हो ॥ २० ॥ आषाढवमें राजा सर्वदा लड़ाई करनेमें उद्यत हो, कहीं ईति, कहीं भय, कहीं वृद्धि और कहीं उल हो ॥ -.- ... . . . .. .... . "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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