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________________ 1-1 (१३६) मेधमहोदये : प्रतिफदिया १० लभ्यन्ते. सर्ववस्तुसमता, कार्तिकादिमासदये धान्यं समघ, पौषे रोगपीडा, लोकः सुखी फाल्गुने धान्यमहर्षता ॥३३॥ शर्वरीवत्सरेभौमः स्वामी, वर्षी अल्पा, प्रजाप्रलयः, राजविरोधः, चैत्रादिमासत्रयेऽन्नसमता, आषाढबये महान् मेघः परं खण्डवृष्टिः, अन्नमहर्घता। भाद्रपदे वर्षी नास्ति, राजपीडा लोकेषु, आश्विने रोगपीडा अन्नं कलशिका एका फदियानाणकैलभ्यते दशभिः पश्चिमायों दुर्भिक्षं पूर्वस्यां सुभिक्षं, कार्तिकादिमासदयेऽन्नं महफँ, पौषादिमासत्रये धान्य समघम् ।।३४॥ प्लवे बुधः स्वामी, वर्षाकाले वर्षाबहुला उत्तमः समयः, चैत्रे धान्यमन्दता, वैशाखे भूमिभयङ्करी, ज्येष्ठेऽन्नसमर्थता, लिलङ्गे पूर्वदेशे पीडा, आषाढ़े महावायुः उत्पाताः, लोकाः सरोगाः श्रावणे महान मेघः दिन १७ वर्षा, भाद्रपदे घनो घनाघनः, धान्यं समध, कणकलशिका एका फदियानाणकैरष्टभिलभ्यते -आश्विने सर्ववस्तु स्तु सस्ती! कार्तिक मार्गशीर्वमें धान्य सस्ता; पौष में रोगपीडा; लोक मुखी; फाल्गुनमें धान्य तेज ॥ ३३ ॥ शर्वरीवर्षका स्वामी भौम; वर्षा थोडी; पंजाका विनाश; गजविरोध; चैत्रादि तीन मास अनाजका भाव सम; प्रापाढ श्रावणी महामेघ पीछेसे ग्खण्डवृष्टि, अनाजभात्र तंज; भाद्रपद में वर्षा न. वर्षे; देशमें राजपीडा; आसोजमें गोगपीडा; फदिया १० का कलशी वान्य बिक, पश्चिममें दुष्काल; पूर्वमें मुकाल; कार्तिक मार्गशीर्ष में अनाज तेज और पौधादि तीन मास में धान्य सम । ३.८ ॥ प्लववर्षका स्वामी बुध; वर्षाकालमें वर्षा अधिक; उत्तम समय; चैत्रमें धान्य मंदा; वैशाख में पृथ्वी भयकारक; ज्येष्टमें अन्नभाव सस्ता; तैलंग तथा पूर्व देशमें पीडा; आषाढमें महावायु उत्पात और लोक में रोग; श्राजण में महामेव दिन-१७ यां; भ! : द्रपदमें बहुत वर्षा; धान्य सस्ता फदिया का एक कलशी धान्य; आ.-. "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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