SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 150
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मेघमहोदये (१३०) मेघो दिनत्रयः, मञ्जिष्ठा मुहरामरिचसुंठीबिप्पली पूगीप्रमुखमहूघेता, फाल्गुने सर्ववस्तुरससमता उत्तमसमयः ॥२१॥ सर्वधारिणि विष्णुः स्वामी, राजा राज्यसुस्थः प्रजासुखमन्नं समर्थम्, मार्गशीर्षः पौषश्च उत्तमः सर्वलोकसुखं षड्दर्शनमहत्वं पूजा, सर्वनगरदेश सुस्थानवासः । चैत्रे सर्वधान्यस मता, उत्तरापथे दुष्कालः, वैशाखज्येष्ठयोमहर्घता, ज्येष्ठे महाभयमरिष्टं, आषाढे मेघः, श्रवणेऽल्पवर्षा, अनं महर्चे, भाद्रपदे दुर्भिक्षं । आश्विने रोगः, अन्नसमता, राज्ञां परस्परं विरोधोऽन्नमहघेता ||२२|| विरोधिनि रुद्रः स्वामी, चैत्रादिमात्र धान्यमहार्घता, आषाढे श्रावणेऽतिवर्षा, भाद्रपदे खण्डवृष्टिः; मासत्रयेऽतिभयं किञ्चिदुत्पातः, राजा सुखी, प्रजा सुखी, कचिदुराजयुद्धं सर्वधान्य महार्घता, आम्बिने सर्वधान्यसमर्धता, कार्तिके मारीरोगबहुलता, मार्गशीर्षादिमासचतुष्टयं गुर्जरे मरुदेशेऽन्नं महार्घम् ॥२३॥ विकृते र - प्पली, सुपारी आदि तेज, फाल्गुनमें सब रस और वस्तु समान तथा उसन समय हो ॥ २१ ॥ सर्ववारीवर्षका स्वामी विष्णु है, राजा प्रजा सुखी, अअ सस्ता, मार्गशीर्ष और पौष उत्तम, सब लोक सुखी, छ दर्शनका महत्व पूजा, नगर का सत्र देशमें वास, चैत्रमें सत्र धान्य समान, उत्तर में दुष्काल, शाख ज्येष्ट में महँगा, ज्येष्ठमें बडा भय, आषाढमें वर्षा, श्रावणमें थोड़ी वर्षा, अन्न तेज, भादोंनें दुष्काल, आश्विनमें रोग, अभाव समान, राजाओं का परस्पर विरोध और अनाज तेज हो ॥ २२ ॥ विरोधी वर्षका स्वामी रुद्र है, चैत्रादि तीन मास धान्य महँगा, आषाढ और श्रावण में प्रतिवर्षा, भादों में खगडवृष्टि, तीन मास अधिक भय, कुच्छ उत्पात, राजा तथा प्रजा सुखी, कहीं राजाओंमें युद्ध, सब धान्य तेज, आश्विन में सब धान्य सस्ता, कार्तिक में महामारीकी अधिकता, मार्गशीर्ष आदि चार मास गुजरात और मारवाड "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy