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________________ ४४ जन्मसमुद्रः पित्तोस्थरोगात् । एवं चन्द्र वातकफाद् वातश्लेष्मरोगात् । भौमे पित्तात् पित्तप्रकोपेन । बुधे वातपित्तकफेभ्यः । गुरौ कफात् श्लेष्मतः। शुक्रे कफवातादेव । शनौ मरुत्तो वायुतो मृत्युः । क्वाङ्ग वातादिरोगोत्पत्तिरित्याह-कालनरस्य यो राशिरष्टमे, तत्राङ्ग जातस्य तदुत्त्पन्नवातादिरोगपीडया मृत्युः । यदाष्टमं बहवो वलिनः पश्यन्ति. तदा तदुक्तदोषैस्तत्राङ्ग समुत्पन्न भृत्युः ।।२।। यदि आठवें स्थान को सूर्य देखता हो तो पित्त रोग से. चन्द्रमा देखता हो तो वायु और कफ से, मंगल देखता हो तो पित्त रोग से, बुध देखता हो तो वात, पित्त और कफ से अर्थात् त्रिदोष रोग से, गुरु देखता हो तो कफ से, शुक्र देखता हो तो कफ और वायु से एवं शनि देखता हो तो वायु रोग से मृत्यु योग कहना। अष्टम स्थान की जो राशि हो वह कालनर के जिस अंग में हो उसी अंग में रोग की उत्पत्ति कहना ॥२॥ अथ जलोदरबन्धकृतमृत्युज्ञानमाह शनौ कर्कगते चंद्र मकरस्थे जलोदरात् । त्रिकोणस्थौ शुभादृष्टौ पापौ चेद् बन्धनान्मृतिः ॥३॥ जन्मकाले शनौ कर्कगे चन्द्र मकरस्थे सति जलोदरान्मृत्युः । जन्मकालेऽथ पापौ द्वौ त्रिकोणस्थौ पंचमस्थौ नवमस्थौ, वा अथवा एकः पापः पंचमेऽपरो नवमे द्वावेतौ शुभादृष्टौ केनापि शुभेनादृष्टौ चेत् स्यातां ततो बन्धनान्मृतिः ।।३॥ जन्म समय में कर्क राशि का शनि हो और मकर राशि का चन्द्रमा हों तो जलोदर रोग से मृत्यु कहना। एवं दो पाप ग्रह एक साथ नवें या पांचवें स्थान में हो, अथवा एक नवें और दूसरा पांचवें स्थान में हो, उन दोनों को कोई शुभ ग्रह देखता न हो तो बन्धन से मृत्यु होती है ॥३॥ अथ शस्त्रवह्निदोरकपातकृतमृत्युमाह पापद्वयान्तरे चन्द्र कुजः शस्त्रवह्नितः ।। आकिभे रज्जुपाताग्नेरेवं स्त्रीभेऽस्त्रशोषतः ॥४॥ चन्द्र कुजः मेषवृश्चिकयोरेकतमे पापद्वयान्तरे पापद्वयमध्यगते सति शस्त्रवह्नितः शस्त्रादग्नितो वाथवा प्राकिभे शनिराशौ मकरकुम्भयोरेकतमस्थे चन्द्र पापद्वयमध्यस्थे रज्जुपाताग्नेः रज्ज्वा दोरेण पातादुच्चप्रदेशाद्वा वह्नितो वा मृत्युः । अथैवंविधे चन्द्रे पापद्वयमध्यस्थे स्त्रीभे कन्याराशिस्थे अस्त्रशोषतः अस्त्राद् दुष्टरक्तात् शोषाद्वा ।।४।। "Aho Shrutgyanam"
SR No.009531
Book TitleJanmasamudra Jataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherVishaporwal Aradhana Bhavan Jain Sangh Bharuch
Publication Year1973
Total Pages128
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size19 MB
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