SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 445
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३७८) ७३ २८७ धीर ( वणिक ) धीर (राजा) धुंधुक्कक ( नगर) ३४० १९५ २७१ ३४७ १९॥ २९२ ३१४ १२४ २ 274 ३१३ २३२ धनावह धनेश्वर धनेश्वरसूरि (जैनाचार्य) धन्य ( श्रेष्ठी) धन्या ( स्त्री) धम्भिल्ल ( राजा) धरणी ( श्रेष्टी) धरापुर धर्म ( पण्डित ) धर्मकीर्ति ( उपाध्याय) धर्मघोषसूरि धर्मदत्त ( श्रेष्ठी) धर्मराज (राजा) धर्मरत्नवृत्तिः ( जैनकृति) धर्मरुचि (राजा) धर्मश्री (स्त्री) धवलक ( प्राम) धवलक ( ग्रामः) घान्यसखयपुर धारा ( नगर ) धारावर्ष (राजा) धारिणी (बी) धारिणो ( राझो) धीमती धीर (बणिक) धीर (पुरुष) धीर (गृहस्थ ) धीर ( श्रेष्ठी) ११५ १०८ २३९ नकुल (पाण्डुपुत्र) नत्रामृत (कूप) नगरपुराण (अन्य) नग्नक (राजा) नन्द ( राजा) नन्द ( नाविक ) नन्दगोकुल (पुरुष) नन्दनोचान नन्दनक ( वृषभ) नन्दिपुर नमिभूय नरचन्द्रसूरि नरीआक (संघपति) नर्मदा (बी) नल (राजा) नलवन मवदुर्गा ( देवी) नवसारिका (नगर) नवसारीपुर ( , ) नागदत्त ( श्रेष्ठी) नागपुर (नगर) नागवली (लता) नागश्रेष्ठी नागार्जुन ३१५ २३४ २३३ २०३ २९१ २४० २ १० २०५ १७४ २५० ३६, १८२ २४२ १०१ ११ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009525
Book TitlePanchashati Prabodh Sambandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMrugendravijay
PublisherSuvasit Sahitya Prakashan
Publication Year1968
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy