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________________ ( ३७७) पृष्ट ३५२ १९४ ८. १९७ १२८ ७७ १६४ १६९ १७४ २३० ३२६ ३१३ ५८ - देवचन्द्र (राजपुत्र) देवचन्द्रसूरि देवर (कुम्भकार) देनर ( श्रेष्ठी) देवदत्त ( तापम) देवदत्त (पुरुष) देवपत्तन देवपाल (राजा) देवपाल (कवि) देवपुर देवभद्रसूरि देवल देवशर्मा (ब्राह्मण) देवशर्मा (परिवाद) देवशकि (राजा) देवसिंह (श्रेष्ठी देवसुन्दरसूरि देवमूरि देवसेन देवादित्य (ब्रामण) देविका (सी देवेन्द्र सूरि (जैनाचार्य) देसल देहल (भाविका) द्रोणाचार्य द्रौपदी २२३ ३२६ २२१ ११८ धन (वणिक) धन (धनी) धन (साथवाह) धन (पुरुष) धन (श्रेष्ठी) धन ( वणिक ) धन (पुरुष) धन ( गृहस्थ ) धन ( श्रेष्ठो) धन ( गृहस्थ ) धनगुप्त (वणिक) धनदत्त ( वणिक) धनदत्त धनदत्त ( वणिक) घनदत्त घनदत्त धनदेव (राजा) धनदेवी (सी) धनपति (कुबेर) धनपाल ( कवि) धनभूय धनमहेभ्य घनमित्र धनमित्रा (त्री) धनवती धनश्रेष्ठी धनसार धनसेन १३३ ३५, ४५ २३४ १८८ २६१ २५६ १८२ धन (पुरुष) "Aho Shrutgyanam"
SR No.009525
Book TitlePanchashati Prabodh Sambandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMrugendravijay
PublisherSuvasit Sahitya Prakashan
Publication Year1968
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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