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________________ boy.pm5 2nd proof इस चित्र में बताया है इसके अनुसार इसमें सबसे उपर ५ अनुत्तर देव है। उसके नीचे ९ ग्रैवेयक देव है । उसके नीचे अलग-अलग जगह पें १२ वैमानिक देव है, किल्बिषिक देवों की तीन जगह अलग है। मेरुपर्वत के ४० ने अनुत्तर देव-५ →ग्रैवेयक देव-९ वैमानिक (१२) lee | किल्बिषिक 10000 देवों के नाम इस प्रकार है । भवनपति : (१) असुरकुमार, (२) नागकुमार, (३) सुवर्णकुमार (४) विद्युतकुमार, (५) अग्निकुमार, (६) द्वीपकुमार (७) उदधिकुमार, (८) दिशिकुमार, (९) पवनकुमार (१०) स्तनितकुमार या मेघकुमार व्यंतर : (१) पिशाच, (२) भूत, (३) यक्ष, (५) राक्षस (५) कंदित, (६) महाकंदित (७) कोहंड, (८) पतंग तिर्यक् जुंभक : (१) अन्न जुंभक, (२) पान ज़ुभक, (३) वस्त्र जंभक, (५) लेण (घर) मुंभक (५) पृष्ट मुंभक, (६) फल मुंभक, (७) पुष्प मुंभक, (८) शयन मुंभक, (९) विद्या मुंभक, (१०) अवियत्त मुंभक परमाधामी देव : (१) अम्ब (२) अम्बरिष (३) श्याम (४) शबल (५) रुद्र (६) उपरुद्र (७) काल (८) महाकाल (९) असिपत्र (१०) वण (११) कुम्भी (१२) बालुका (१३) वैतरणी (१४) खरस्वर (१५) महाघोष ज्योतिष : चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र, तारा देवलोक : (१) सौधर्म (२) इशान (३) सनत्कुमार (४) माहेन्द्र (५) ब्रह्मलोक (६) लान्तक (७) महाशुक, (८) सहस्रार (९) आनत (१०) प्राणत (११) आरण (१२) अच्युत लोकान्तिक : (१) सारस्वत (२) आदित्य (३) वह्नि (४) अरूण (५) गर्दतोय (६) किल्बिषिक से किल्बिषिक ( ज्योतिष देव वाणव्यंतर - व्यतर -(LI भवनपति आसपास ज्योतिष देव रहते है । मेरुपर्वत के नीचे - जमीन के भीतर में वाणव्यंतर विगेरे देवों के स्थान है। बालक के जीवविचार • ६५ ६६ • बालक के जीवविचार
SR No.009505
Book TitleBalak ke Jivvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamrativijay
PublisherPravachan Prakashan Puna
Publication Year2008
Total Pages48
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size1 MB
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