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________________ boy.pm5 2nd proof जम्बूद्वीप में एक मेरुपर्वत है उनके साथ में छह अकर्मभूमि देखनी हो तो इस चित्र से देख सकते हैं । जम्बूद्वीप ६ अकर्मभूमि बीच में मेरुपर्वत है, धातकीखण्ड कंगन आकार का है. उसके बीच में छिद्र है, उसमें लवण समुद्र और जम्बूद्वीप है। धातकीखण्ड का विस्तार इन दोनों से बहुत बड़ा है, मध्यभाग दो तरफ आता है, जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत की लाइन में पूर्व तरफ एक मध्यभाग है। जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत की लाइन में पश्चिम तरफ दूसरा मध्यभाग है। धातकीखण्ड के ये दो मध्यभाग पर अलग-अलग मेरुपर्वत है, इस बात को चित्र द्वारा समझ सकेंगे । उत्तर हिरण्यवन्त क्षेत्र उत्तर रम्यक् क्षेत्र उत्तरकुरु मेरुपर्वत पश्चिम एदेवकरु पश्चिम | ०---- हविर्ष क्षेत्र हिमवन्त क्षेत्र -6→→→→→० पूर्व जम्बूद्वीप लवणसमुद्र दक्षिण धातकीखण्ड दक्षिण जम्बूद्वीप में तीन कर्मभूमि और छह अकर्मभूमि है उसको हमने देखा । कुल मिलाकर १५ कर्मभूमि और ३० अकर्मभूमि होती है। ये सब हमको देखना है। इसके लिए हम ढाइ द्वीप की व्यवस्था समझ लें । पुष्करवरार्ध द्वीप के बीच में मानुषोत्तर पर्वत है उसे भी हमने देखा । पुष्करखरद्वीप का आधा भाग पुष्करवरार्ध नाम से पहचाना जाता है | जम्बूद्वीप के बाद धातकीखण्ड और पुष्करवरार्ध इन दो स्थान में मनुष्य जन्म की सम्भावना है । जम्बूद्वीप थाली के आकार गोल होने के कारण बीच में छिद्र नहीं है, इसलिए जम्बूद्वीप के धातकीखण्ड कंगन आकार में है, उसी प्रकार पुष्करवरद्वीप भी कंगन आकार में है । पुष्करवरार्ध भी कंगन आकार का ही है । बालक के जीवविचार . ५३ ५४ • बालक के जीवविचार
SR No.009505
Book TitleBalak ke Jivvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamrativijay
PublisherPravachan Prakashan Puna
Publication Year2008
Total Pages48
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size1 MB
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