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________________ नरक आयुष्य का बंध पहले गुणस्थानक तक है, उदय चौथे गुणस्थानक तक और सत्ता ७ वे गुणस्थानक तक रहता है। नेरइयाणं भंते केवईकालं ठिई पन्नता ? गोयमा ? जहल्लेण दस वास सहस्साई उक्कोसणं तेतीसं सागरोपमाई ठिई पन्नता। सर्व नारको की उत्कृष्टा स्थिति : नारकीओं की जधन्य स्थिति १0,000 वर्ष और उत्कृष्ट स्थिति ३३ सागरोपम की है। सात नरकों का आयुष्य: प्रथम नरक धम्मा १: सागरोपम तक का आयुष्य दुसरा नरक वंसा ३:सागरोपम तक का आयुष्य तिसरा नरक सेला ७ : सागरोपम तक का आयुष्य चौथी नरक अंजना १० : सागरोपम तक का आयुष्य पाँचवी नरक रीष्टा १७: सागरोपम तक का आयुष्य छसी नरक मधा २२ : सागरोपम तक का आयुष्य सातवी नरक माधवती ३३: सागरोपम तक का आयुष्य आत्मा को कर्म बंध करते समय सोचना चाहिये। कर्म उदय में आने पर संताप करने से पीडा-कष्ट कम नहीं होते इसलिये अशुभ कर्म बंध करते समय सो बार सोचो। ___ नरक जीव ज्ञानबल से पूर्व भव के वृत्तांत जान कर परस्पर झगडते है। रावण-लक्ष्मण लडते है। सीतेन्द्र बारहवे देवलोक से आकर रावण लक्ष्मण को उपदेश देते है। असत्य उच्चारण से वसुराजा सातवी नरक में गये। अनंतानुबंधी कषाय जीव को नरक में ले जाता है। थिणध्धि निद्रावाले जीव मरकर नरक में जाते है। निद्रा में वासुदेव से आधा बल होता है। द्रमक(भिक्षु) राजगृही नगर में घूमकर भिक्षा से अपना पेट पालता था। उसका लांभातराय कम का उदय था इसलिये लोग उसे कुछ देते न थे। वह रौद्रध्यान में रहने लगा। द्वेष के कारण वैभारगिरि पहाड पर से विशाल शीला फेंकने लगा उस कार्य में वह खुद ही मर गया और सातवी नरक में गया। ४९) नारक के आवासः तीसाय पन्नटीसा पन्नरस दसेया, सयसहसा तिनेगं पंचूण अणुतरा निरया, प्रथम नरक में ३० लाख आवासों की संख्या है। दुसरी नरक में २५ लाख आवासों की संख्या है। तीसरी नरक में १५ लाख आवास है। चौथी नरक में १० लाख आवास है। पाँचवी नरक में ३ लाख आवास है। छठी नरक में ९९९९५ आवास है। सातवी नरक में ५ स्थान है। सात नरक में ८४ लाख नरकावास है। नरक में ४ लाख योनि २५ क्रोड लाख कूल है। ५०) नारको की लेश्या : काउ-होसु तईयाई मीसिया नीलिचउत्थीए पंचमियाए मीसा कणह ततो परमकणहा । प्रथम और दुसरी नरक में कापोत लेश्या तिसरी नरक में मिश्र लेश्या पाँचवी नरक में नील लेश्या छट्टी नरक में मिश्र लेश्या सातवी नरक में परम कृष्ण लेश्या ५१) कौन, कौनसी, नरक तक जा सकता १.असंज्ञीजीव जिन्हे मन नही होता) पंचेन्द्रिय तीयेच जीव प्रथम नरक तक जा सकते है। २. गर्भज, भूज परिसर्प(हाथ से चलनेवाले) बंदर, छिपकली, चूहा, खिसकोली दुसरी नरक तक जा सकते है। ३. पंखी तीसरी नरक तक जा सकते है। ४. सिंह आदि हिंसक प्राणी और चौथी नरक तक जा सकते है। ___५. सांप आदि हिंसक सरिसृप पाँचवी नरक तक जा सकते है। ६. स्त्रियाँ छट्टी नरक तक जा सकती है। ७. मनुष्य और मच्छ सातवी नरक तक जा सकती (43) हे प्रभु ! मुझे नरक नहीं जाना है !!!
SR No.009502
Book TitleMuze Narak Nahi Jana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprabhvijay
PublisherVimalprabhvijayji
Publication Year
Total Pages81
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size2 MB
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