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________________ (ख) सादृश्यानुमान में कुछ समानताओं के आधार पर एक नई समानता का अनुमान किया जाता है। परन्तु उपमान में समानताओं के आधार पर उस अज्ञात वस्तु की वस्तुवाचकता का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। (ग) सादृश्यानुमान में वस्तु के किसी विशेष भाग या विशेष गुण का ही ज्ञान हो जाता है। किन्तु उपमान में किसी वस्तु के सम्पूर्ण रूप का ज्ञान प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए सादृश्यनुमान द्वारा मंगल ग्रह में केवल मनुष्य के होने की संभावना का पता चलता है परन्तु उपमान के द्वारा भेड़िया के सम्पूर्ण रूप का ज्ञान होता है। __ अतः दोनों में अर्थ, क्षेत्र और लक्ष्य को लेकर अन्तर दृष्टिगत होता है। इसलिए दोनों को एक मानना उचित नहीं है। वात्स्यायन ने उपमान को बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है। इनकी दृष्टि में निम्नलिखित फायदे हैं (क) विज्ञान के क्षेत्र में भी उपमान के आधार पर कई अज्ञात पदार्थों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। (ख) उपमान व्यावहारिक जीवन में उपयोगी है। इसके द्वारा पता चलता है कि किसी संज्ञा से किन वस्तुओं या व्यक्तियों का बोध होता है। यह हमें पारिभाषिक नामों की वस्तुवाचकता का ज्ञान दिलाने में भी मदद पहुंचाता है। (ग) दवाओं की खोज अथवा आविष्कार में भी यह सहायक सिद्ध हुआ है। आयुर्वेदशास्त्र में अनेकानेक दवाओं की खोज एवं आविष्कार उपमान के द्वारा किये गये हैं। प्रत्यक्ष और अनुमान की तरह ही उपमान भी एक स्वतंत्र प्रमाण है। अनुमान की तरह यह भी व्यक्ति के विवेक एवं अनुभव पर निर्भर करता है। जो व्यक्ति अनुभवी नहीं है अथवा कम विवेकी है, उसका उपमान सम्बन्धी ज्ञान असंदिग्ध नहीं होगा किन्तु यदि वह विवेकशील और अनुभवी है तो उसका उपमान सम्बन्धी ज्ञान विश्वसनीय एवं असंदिग्ध हो सकता है। मीमांसा में उपमान सादृश्य से सादृश्य का ज्ञान है। जब कोई व्यक्ति, जो गाय से परिचित है, अकस्मात् गवय को सामने देखता है और गवय को गाय के सदृश्य पाता है, तब वह यह भी जान लेता है कि गाय गवय के सदृश्य है। यह दूसरा सादृश्य अथवा अधिक सही यह कहना होगा कि स्मृत गाय का इस दूसरे सादृश्य से विशिष्ट होना ही उपमान का प्रमेय है। यहां एम. हिरियन्ना ने ठीक ही लिखा है कि, “यहां तत्त्वमीमांसीय महत्त्व की बात यह है कि अ से ब के सादृश्य को ब से अ के सादृश्य से भिन्न माना गया है।
SR No.009501
Book TitleGyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, & Philosophy
File Size1 MB
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