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________________ (ख) जब किसी पूर्व परिचित वस्तु की असमानता (असादृश्य) के आधार पर किसी वस्तु की वस्तुवाचकता का ज्ञान प्राप्त हो तो उसे वैधोपमान कहते हैं। यानी वैधोपमान अथवा वैधोपमिति इस प्रकार होती है, जैसे ऊँट से अपरिचित किसी मनुष्य के किसी ऊँट जानने वाले ने कहा कि "क्या तुम ऊँट को नहीं पहचानते?" उसकी आकृति अन्य पशुओं से अतिविलक्षण होती है। उसके ओठ लम्बे होते हैं, गर्दन खूब लम्बी होती है। वह काँटे बड़े ही प्रेम से खाता है। नीम को भी चबाकर खब स्वाद लेता है। अनन्तर श्रोता मारबार जाकर ऊँट को पूर्वउपदेश के अनुसार अन्य पशुओं से विलक्षण देखता है, तो यह निश्चय करता है “यही पशु ऊँट है" यह वैधर्योपमिति का उदाहरण है। इसी प्रकार मान लिया जाय कि किसी व्यक्ति ने हाथी नहीं देखा, किन्तु वह भैंस से पूर्ण परिचित है। उसे किसी विश्वसनीय व्यक्ति से यह ज्ञात होता है कि हाथी भैंस से बड़ा होता है। उसके पैर केले के थंभ के समान मोटे हैं। उसके कान सूप की भाँति हैं और उसके सूंड भी है, किन्तु यह रूप-रंग में भैंसे के सदृश है। अब यदि वह व्यक्ति कहीं हाथी देखकर भैंसे की असमानता के आधार पर उसकी वस्तुवाचकता का ज्ञान प्राप्त कर लेता है तो यही 'वैधोपमान' कहलाता है। (ग) यदि किसी वस्तु की वस्तुवाचकता का ज्ञान मात्र उस वस्तु की विचित्रताओं, विलक्षणताओं एवं अन्य विशेषताओं के आधार पर हो तो उसे धर्ममात्रोपमान कहा जाता है। उदाहरण के लिए मान लिया जाए कि किसी व्यक्ति ने गैंडा कभी नहीं देखा है। एक विश्वसनीय व्यक्ति से उसे पता चलता है कि गैंडा एक विचित्र जानवर है, जिसका रंग काला, पीठ आदि जगहों में काफी गद्दे के सदृश्य मोटे चमड़े होते हैं। मुँह कुछ लम्बा और विचित्र सा लगता है। भाला आदि अस्त्रों से मारने पर उसका चमड़ा पुनः जुट जाता है। अब अगर कोई व्यक्ति कहीं गैंडा देखता है और उसकी विलक्षणताओं के आधार पर उसकी वस्तुवाचकता का ज्ञान प्राप्त कर लेता है तो यही धर्ममात्रोपमान है। उपमिति में सादृश्य, असादृश्य, एवं विलक्षणताओं के कारण ही आजकल उपमान की परिभाषा में सादृश्यज्ञान पर उतना जोर नहीं दिया जाता है। आजकल उपनाम की परिभाषा अधिक लोकप्रिय है-"जिसके द्वारा संज्ञासंज्ञि-सम्बन्ध का ज्ञान हो उसे ही उपमान कहते हैं।"55 उपमान और सादृश्यानुमान कुछ लोग उपमान को सादृश्यानुमान कह देते हैं। यह बात ठीक है कि दोनों में ही सादृश्य-ज्ञान का अत्यधिक महत्त्व है। फिर भी दोनों को एक समझना भूल है। दोनों में निम्नलिखित अन्तर है (क) सादृश्यानुमान का आधार मात्र सादृश्य अथवा समानता है। परन्तु उपमान में जैसा कि पहले संकेत दिया जा चुका है कि सादृश्य के साथ-साथ विलक्षणता एवं विषमता पर भी किसी पद की वस्तुवाचकता का ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
SR No.009501
Book TitleGyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, & Philosophy
File Size1 MB
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