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________________ विरुद्ध हम कल्पना कर सकते हैं, किन्तु वह तभी कर सकते हैं जब ऐसा करने के लिए हमें अत्यधिक प्रमाण मिलते हों और वे प्रमाण तर्कयुक्त हों। अतः सामान्यतः हम पूर्वस्थापित नियमों या सत्यों के विरुद्ध कल्पना नहीं कर सकते । 4. यथार्थ कल्पना को वास्तविकता पर आधारित होना चाहिए और इसका विषय एक वास्तविक कारण होना चाहिए (A hypothesis should be based on facts and it should have for its object a real cause or vera causa.) यानी यथार्थ कल्पना को तथ्य पर आधारत होना चाहिए। इसको न्यूटन के अनुसार vera causa होना चाहिए। Vera causa का अर्थ सही या सच्चा कारण होता है। वस्तुतः इसका अर्थ वह कारण है, जिससे घटना के घटने की संभावना हो। इसीलिये बतलाया गया है कि "A cause which may reasonably be believed to be existing and whose existence, therefore, does not involve self-contradiction" अर्थात् सत्य कारण उस कारण को कहते हैं, जो हमारे विचार में विरोध उत्पन्न न करे, यानी जो ऐसा हो कि उसी के द्वारा हम यह सोच सकें कि वह घटना व्यवस्थित पूर्णता का एक अंश है। 5. किसी कारण के सम्बन्ध में आवश्यकता से अधिक प्राक्कल्पना करना उचित नहीं है। 6. जटिल प्राक्कल्पना बनाने से यह अच्छा है कि सरल कल्पना की जाए। वैज्ञानिकों का ऐसा विश्वास है कि व्याख्या कुछ ही साधारण सिद्धान्तों से हो सकती है। यद्यपि साधारण प्राक्कल्पना से घटना की व्याख्या स्पष्ट रूप से हो सकती है, फिर भी सत्य की अवहेलना कर साधारण कल्पना को प्रश्रय नहीं देना चाहिए । यदि जटिल कल्पना से ही सत्य का अन्वेषण हो सके तो उसी को अपनाना अच्छा होता है। जहां तक इसके प्रकार का प्रश्न है, ये तीन प्रकार की होती हैं(क) कर्ता संबंधी, (ख) परिस्थिति संबंधी एवं (ग) विधि अथवा तरीका संबंधी कल्पना। (क) कर्त्ता संबंधी कल्पना- जब किसी घटना की परिस्थिति (collocation) और विधि का ज्ञान हो, किन्तु इसके कत्र्ता की जानकारी न हो तो कर्त्ता का पता चलाने के लिए जो कल्पना की जाती है तो उसे कर्त्ता संबंधी कल्पना कहा जाता है। उदाहरण के लिए मान लें, किसी कमरे का ताला तोड़कर उसके अन्दर के सभी सामान गायब (गुम) कर दिये गये। यहां पर हमें ज्ञात है कि ताला तोड़कर चोरी की गई है। इसकी भी जानकारी है कि चोरी करने के वक्त (समय) कोई भी आस - पास अथवा इधर-उधर ( अगल-बगल ) नहीं था, वातावरण बिल्कुल सुनसान था । यह घटना की परिस्थिति है। हमें यह 146
SR No.009501
Book TitleGyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, & Philosophy
File Size1 MB
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