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________________ को निकाल देता है, जिसे बचा हुआ हिस्सा घी का वास्तविक तौल बतला देता है 1 इसे एक सांकेतिक उदाहरण के द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है ABC...............abc BC..................be ............A is the cause of a (Because B is known to be the cause of b, and C is known to be the cause of c.) 124 वास्तविक उदाहरण बर्तन + घी = 20 किलो. बर्तन = 3 किलो. इसलिए घी = 17 किलो. इसी तरह मान लीजिए कि किसी बैलगाड़ी को उस पर चढे हुए गाड़ीवान और रखे हुए वजन के साथ तौला जाता है। तौलने पर सबकी तौल 30 मन आती है। इस 30 मन में से बैल गाड़ी का वजन 15 मन और गाड़ीवान की तौल 2 मन पहले से ज्ञात है । गणना के द्वारा गाड़ी का वजन + गाड़ीवान की तौल 15 + 2 = 17 मन आ जाती है। इसलिए बची हुई चीज की तौल 30 17 = 13 मन होगी। इसी तरह की बात ट्रक या मालगाड़ी के किसी खास डिब्बे के सामान के साथ घटती है । - इस तरह हम देखते हैं कि इस विधि का रूप निगमनात्मक है। पूर्व अनुभव या आगमन के द्वारा कुछ दिये हुए ज्ञान के आधार पर हम यहां कुछ निष्कर्ष निकालते हैं। कुछ घटनाओं का कारण पहले से ज्ञात रहता है। इसी के आधार पर शेष घटना का कारण शेष पूर्ववर्ती को समझा जाता है। इस प्रकार इस विधि में आगमन की अपेक्षा निगमन का अधिक प्रयोग होता है। यह विधि आविष्कार की विधि है, न कि प्रमाण की विधि । मिल की तरह मेलोन ने भी इस विधि की महत्ता को स्वीकार किया है किन्तु इन्होंने (मेलोन ने) इस विधि के रूप को मिल से थोड़ा भिन्न कर दिया है। दो घटनाओं के अवशेष अंशों को सम्बद्ध करने के बजाय मेलोन का कहना है कि यदि किसी मिश्रित या जटिल घटना के कुछ अंशों का कारण अज्ञात रहे तो वैसे अंश या अंशों का कारण ढूंढ निकालना पड़ता है। मान लें कि सम्पूर्ण कार्य सम्मिश्रण abcx है और कारण - संयोग मात्र ABC ज्ञात है, जिसमें abc का ABC कारण है । फलतः ABC कारण संयोग से कार्य सम्मिश्रण से x मात्र की व्याख्या नहीं हो पाती है। प्रश्न उठता है किx का कारण क्या है? ऐसी स्थिति में x के अज्ञात कारण को ढूंढना पड़ता है। विज्ञान में ऐसे अवशेष कार्य के अज्ञात कारण 140
SR No.009501
Book TitleGyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, & Philosophy
File Size1 MB
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