SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कारण-सम्बन्ध का पता लगाना भी वैज्ञानिक आगमन का उद्देश्य रहता है। B.N. Roy 9661 # "Scientific Induction aims at the discovery and proof of a causal connection among phenomena [The experimental methods are devices by which causal connections are discovered and proved) with a view to establishing a general proposition." यानी दो वस्तुओं के बीच कारण-सम्बन्ध के पता लगाने के लिए आगमन तर्कशास्त्र के क्षेत्र में बहुत तरह की रीतियां बतलाई गई हैं। उन्हीं रीतियों में प्रयोगात्मक विधियां भी अपना अलग स्थान रखती हैं। इन विधियों में अवशेष विधि अनोखा स्थान रखती है। मिल ने इसकी परिभाषा देते हुए बतलाया है कि "Subduct from any given phenomenon such part as is known by privious induction to be the effect of certain antecedents, and the residue of the phenomenon is the effect of the remaining antecedents." अर्थात् अगर दी हुई घटना में से उस भाग को निकाल दिया जाए, जो पहले आगमन के आधार पर कुछ पूर्ववर्ती अवस्थाओं का निष्कर्ष समझा गया है, तो घटनाओं का अवशेष भाग अवश्य ही अवशेष पूर्ववर्ती अवस्थाओं का कार्य होगा। इस विधि को अवशेष विधि कहा जाता है। इस विधि को अवशेष-विधि इसलिए कहा जाता है कि यहां दो मिश्रित या जटिल घटनाओं के अवशिष्ट अंश अथोत शेषांश में कारण-कार्य का सम्बन्ध बतलाया जाता है। उपर्युक्त परिभाषा का विश्लेषण करने पर इस विधि में निम्नलिखित बातें देखने को मिलती हैं 1. यहां हमारे सामने एक संयुक्त अथवा जटिल कार्य दिया रहता है। इसके कुछ भाग का कारण हमें पहले से ज्ञात रहता है और तब कार्य के शेष भाग के कारण का पता लगाना रहता है। यानी उस शेष अंश का कारण जानने के लिए अवशेष विधि की सहायता ली जाती है। दूसरे शब्दों में जब अनेक कारण मिलकर कार्य को उत्पन्न करते हैं और उसके निरीक्षण में कोई विशेष कठिनाई आ पड़ती है तो वह प्रणाली शेष बातों की व्याख्या करने में सहायक होती है। 2. कार्य का जो अंश हमें पूर्व से ज्ञात रहता है, उसे सम्पूर्ण कार्य से घटा देते हैं। 3. अब कार्य के शेष भाग तथा कारण के शेष भाग के बीच कारणता सम्बन्ध होने का अनुमान किया जाता है। यानी कार्य का जो हिस्सा बच जाता है, उसके बारे में यह अनुमान किया जाता है कि बचे हुए कारण के अंश से पैदा हुआ होगा। उदाहरण के लिए एक दुकानदार के यहां जब हम घी खरीदने जाते हैं तब वह पहले हमारे बर्तन को तौल लेता है और बाद में घी डालकर उसकी गैल बर्तन सहित करता है। उसके बाद उस तौल में से बर्तन की तौल 139
SR No.009501
Book TitleGyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, & Philosophy
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy