SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९६ ] SUBS दशधर्म-भजन | ..... 1 धर्म दश हैं मेरे घट में, दशधर्म - भजन । ( श्री० स्व० पूज्य प्र० सीतलप्रसादजी कृत ) इन्हें जानो अमर हो लो | परम सुख शांतिकी छाया में, यहीं उत्तम क्षमा मार्दव, aah for अमल हो लो ॥ टेक ॥ 、 ै यहीं आर्जव यहीं सत है | यहीं है शौच हितकारी, परम संयम से मल धो लो ॥ १ ॥ यहीं तप त्याग आकिंचन, यहीँ ब्रह्मचर्य गुण-पूरण । कहनको दश हैं एक ही ये, तू आपेमें मगन हो जा, निजातम मय इन्हें तो लो ॥ २ ॥ न कुछ कर राग कुलटाई | सही वैरागी शक्ति से, ' उचित भवदधि से तर जाना, अपनी शान सम कर लो ॥ ३ ॥ जहां हर दम असाता है । सुखोदधि में मगन होकर, परम अमृत सदा चख लो ॥ ४ ॥ 10000
SR No.009498
Book TitleDash Lakshan Dharm athwa Dash Dharm Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, M000, & M005
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy