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________________ तरीकेके मुवाधिक पहली व दूसरी भारत्तिकी प्रस्तावना इस आवृत्तिमें छपवाना चाहिए था लेकिन कागज को बन्चन करनेके लिए प्रस्तावना नही छपाई, दूसरी आवृत्ति (1) नवकार मनका छद (1) नवकार छद, (३) द्ध नवकार छपवाया था, लेकिन यह और पुस्तकोंमें भी छप चुके है इस लिए इस आत्तिने नही छपवाए हैं। 1 चिन पहली व दूसरी आवृत्तिनें छपवाए थे उतनेही इसमें t, cert as, or यत्र समोमरण पर ध्यान और आसनके अलग अलग चित्र लगभग पन्द्रह और दाखिल करनेका इरादा था लेकिन मंहगाई और कागजको कम मिलगतसे यह भावना स्थगित गई है । यह चित्र प्रगट हो जाते तो ध्यान करनेमें Erraat सहायता मिलता । (६) अारके पाच विभाग वाली योजनासे यह बताना था कि इन पाच नम्बरोंके चिनसे कोनसे नम्बरों द्वारा कोनसा अक्षर बनता है, लेकिन इस पृष्ट सख्या घट जानेसे इस आत्तिनें दाखिल नहीं की है, और सिर्फ (इ) के विभाचित्र दे दिया है जो पहली-दुसरी आवृत्ति नही था । इस पुस्तक रम सामग्री दूसरे अन्योंसे ले हुई है इसमें मेरा तो सिर्फ एक करनेका प्रयत्न भाग है अत इस विषयका सारा श्रेय उन अन्यकारों व प्रकाशकों को है कि जिनके नाम अन्यन प्रगट किये गये है । " मु अहमदाबाद वैद्यान शुक्र १५ गुरुवार संवत् १९९८ सा. ३० अप्रैल १९४२ भवदीय चदनमल नागोरी छोटी सादडी (वाट)
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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