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________________ योगसार प्रवचन (भाग-२) अतीन्द्रिय आनन्दस्वरूप की अन्तरदृष्टि अनन्त काल में नहीं की है। अतः कहते हैं, पहले वह करना। अतीन्द्रिय आनन्द, सुख मुझमें है और मुझमें पुण्य-पाप के कषायभाव मेरी चीज में नहीं है - ऐसा सम्यक् प्राप्त करने का उपाय अपने आत्मा के यथार्थ स्वभाव का ज्ञान है। यह आत्मा ज्ञानदर्शनस्वभाव का धारी है... भगवान आत्मा जानने-देखने अथवा श्रद्धास्वरूप त्रिकाल है। समझ में आया? जाननस्वभाव ज्ञान त्रिकाल है, श्रद्धास्वभाव ही त्रिकाल है – ऐसे आत्मा में दृष्टि लगाकर (सम्यक्त्व प्राप्त करना) । सूर्य के समान स्व-पर प्रकाशक है... ऐसा जानना। मैं अपने को जाननेवाला हूँ और राग शरीर को अपनी अस्ति में रहकर जाननेवाला हूँ, समझ में आया? ऐसा अन्तर निर्णय करे और अनुभव करे कि मैं आत्मा ज्ञान-दर्शन का धारक, ज्ञान-दर्शन का धारी हूँ। यहाँ दो की बात है, इसलिए दो लेते हैं। ज्ञान-जानना और श्रद्धा अथवा दर्शन उपयोग, उसका धारक आत्मा अपने में रहकर दूसरे को और स्व को जाननेवाला है। समझ में आया? ऐसा सूर्य के समान भगवान आत्मा स्व-पर प्रकाशक सर्वज्ञ है सर्वदर्शी है... आत्मा सर्वज्ञ है, अभी; और सर्वदर्शी है। ज्ञान स्वभाव है तो ज्ञान सम्पूर्ण आत्मा में है। दर्शन स्वभाव है, वह दर्शन सम्पूर्ण आत्मा में है और पूर्ण वीतराग है... आत्मा रागरहित है तो पूर्ण वीतराग है – ऐसे आत्मा की अन्तरदृष्टि और ज्ञान करना, उसका नाम सम्यग्दर्शन और ज्ञान है। शुरुआत में, पहली भूमिका में यह प्रगट करना। पूर्ण आनन्दमय है... भगवान आत्मा का आनन्दस्वरूप है, अतीन्द्रिय आनन्दस्वरूप है। सिद्ध में जैसा अतीन्द्रिय आनन्द है, वैसा मेरा स्वभाव में अतीन्द्रिय आनन्द है । मैं उस अतीन्द्रिय आनन्द का भोजन लेनेवाला हूँ। कहो, समझ में आया? हैं ? मुमुक्षु : खावे और फिर दान दे? उत्तर : कौन करे? धूल करे सब । खाये किसे? करे किसे? आहाहा...! अपनी भूमिका में - अपनी सत्ता में राग-द्वेष करे या हर्ष शोक भोगे। अपनी स्वाभाविक दृष्टि करने से अतीन्द्रिय आनन्द भोगे। दूसरा क्या करे? अपना आत्मा अतीन्द्रिय आनन्दमय है। उसे करनेवाला और भोगनेवाला होता है आत्मा। ओ...हो...! अरे...! सोनी दागिने
SR No.009482
Book TitleYogsara Pravachan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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