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________________ (v) योगसार ग्रन्थ में कुल 108 गाथाएँ हैं और उन पर पूज्य गुरुदेवश्री के 45 प्रवचन हुए हैं। प्रस्तुत योगसार प्रवचन, भाग-२ में 21 प्रवचन अवतरित किये गये हैं। जिनमें गाथा 69 से 108 तक का समावेश होकर ग्रन्थ पूर्ण होता है। प्रारम्भ के 24 प्रवचन योगसार प्रवचन, भाग-१ में प्रकाशित किये गये हैं। पूज्य गुरुदेवश्री की मूल वाणी तथा भाव यथावत् प्रकाशित रहे तदर्थ सी.डी. में से अक्षरश: उतारकर, जहाँ आवश्यकता लगी वहाँ कोष्ठक भरकर वाक्य रचना पूर्ण की गयी है। जहाँ स्पष्टरूप से सुनाई नहीं दिया वहाँ डॉट (.....) करके रिक्त स्थान छोड़ा गया है। प्रवचनों का सम्पादन कार्य पूर्ण होने के बाद प्रवचनों को सी.डी. के साथ मिलाने का कार्य चेतनभाई मेहता, राजकोट द्वारा किया गया है। इन प्रवचनों का हिन्दीभाषी मुमुक्षु समाज भी अधिक से अधिक लाभ ले तथा पूज्य गुरुदेवश्री के सी.डी. प्रवचन सुनते समय इस प्रकाशन का उपयोग कर सके। इस भावना से इस प्रवचन ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद एवं सी.डी. से मिलान करने का कार्य पण्डित देवेन्द्रकुमार जैन, बिजौलियां द्वारा किया गया है। तदर्थ संस्था आपका सहृदय आभार व्यक्त करती है। प्रस्तुत प्रवचन ग्रन्थ के टाईप सेटिंग के लिए श्री विवेककुमार पाल, विवेक कम्प्यूटर्स, अलीगढ़ तथा ग्रन्थ के सुन्दर मुद्रण कार्य के लिए श्री दिनेश जैन, देशना कम्प्यूटर्स, जयपुर के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। अन्तत: योगसार अर्थात् निजस्वरूप के साथ जुड़ान करना, उसका सार। ऐसे नवनीत समान, भव्य जीवों के लिए प्रकाशस्तम्भ समान, प्रस्तुत प्रवचनों का मुमुक्षुजीव रसास्वादन करके भवसागर से पार हो जायें - इसी भावना के साथ..... निवेदक ट्रस्टीगण, श्री कुन्दकुन्द-कहान पारमार्थिक ट्रस्ट, मुम्बई
SR No.009482
Book TitleYogsara Pravachan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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