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________________ ३६० गाथा - १०० उत्तर • यह प्रश्न ही कहाँ है ? निमित्त कहाँ नहीं है ? उस समय पदार्थ में कार्य — नहीं, उस समय नहीं । अनादि - अनन्त पदार्थ में प्रति समय कार्य होता है । मुमुक्षु - अच्छा निमित्त मिले तो कार्य होवे न ? उत्तर - उसमें अच्छे बुरे का प्रश्न ही कहाँ आया ? वस्तु छह द्रव्य... इसमें थोड़ा लिखा है । फिर आगे आयेगा। जैसे यह सूर्य उगता है, उससे कोई ऐसा विचार करे कि यह सूर्य झट अस्त हो जाये तो ठीक और झट उगे तो ठीक। कम सूर्य हो तो ठीक और बड़े तो ठीक ? यह तो उसके कारण से उगता है और उसके कारण से अस्त होता है । उसमें कम-ज्यादा करनेपने का कार्य किसी को T विकल्प नहीं आता । ऐसे ही धर्मी जीव को जगत के पदार्थ उसके क्रम में परिणमते हुए अपनी अवस्था के कार्य को करे, तब दूसरी चीज उस समय जो अनुकूल हो, वह होती ही है; इस कारण उसे दूसरे में विषमता उत्पन्न नहीं होती। इसी प्रकार मैंने दूसरे के काम कर दिये - ऐसा उसे अहंकार नहीं होता तथा दूसरे मेरा काम कर दें - ऐसी उसे मान्यता नहीं होती है । मुमुक्षु - काम कर दिया यही अहंकार ? उत्तर - अहंकार नहीं होता, इसका अर्थ भी कर नहीं सकता; इसलिए अहंकार नहीं है। किसका कार्य करे ? कौन द्रव्य निकम्मा है ? निकम्मा अर्थात् ? उसके काम में • कार्य की पर्यायरहित द्रव्य.... पर्याय विजुत्तम दव्वम् पर्यायरहित द्रव्य कहो या कार्यरहित द्रव्य कहो, दोनों एक ही स्वरूप हैं । आहा... हा... ! समझ में आया ? शास्त्रकार की भाषा है कि पर्याय विजुत्तम दव्वम् और द्रव्य विजुत्तम पर्याय पर्यायरहित द्रव्य नहीं होता और द्रव्यरहित पर्याय नहीं होती। इसका अर्थ यह है कि कार्यरहित द्रव्य नहीं होता और कारणरहित वह कार्य नहीं होता । कारण अर्थात् द्रव्य । समझ में आया ? आहा... हा...! - छह द्रव्यों का जो वास्तविक स्वभाव है, उसका कारणरूप द्रव्य तो स्वयं कारण है, उसकी पर्याय का । प्रति समय कारण वह और पर्याय उसका कार्य । कहाँ कार्यरहित, वह द्रव्य है ? और उस कार्य का जो कारण, द्रव्य कहाँ नहीं है ? संयोगी जीव हो तो हो भले, उसके साथ क्या सम्बन्ध ?
SR No.009482
Book TitleYogsara Pravachan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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