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________________ योगसार प्रवचन (भाग-२) ३४१ सव्वे जीवा णाणमया.... अहा! कितनी बात करते हैं ! अभव्य हो या चाहे जो हो; निश्चय से परम सत् प्रभु ज्ञानमय ही आत्मा है। उसमें कम-ज्यादा ऐसा शब्द नहीं। ज्ञान की हीनाधिक (दशा). वह भी सर्व ज्ञानमय में वह नहीं आती। समझ में आया? ऐसे ही अपने में भी ज्ञान की हीनाधिकता नहीं आयी। मैं तो ज्ञानमय हूँ, चैतन्यबिम्बस्वरूप हूँ - ऐसी दृष्टि होने पर उसे अन्तर के आश्रय में वीतरागता की भी उत्पत्ति होती है। उसे सामायिक और समभाव कहा जाता है। समझ में आया? सर्व जीव, सभी ही जीव.... ऐसा लिखा है। ज्ञानस्वरूपी भगवान आत्मा। आहा...हा...! सबको जब ज्ञानस्वरूपी देखे तो स्वयं को भी ज्ञानस्वरूपी देखता है। समझ में आया? अपने में भी कर्म के निमित्त के वश से दशाओं को जाननेयोग्य – पर्यायदृष्टि से जाननेयोग्य जानता हुआ, सर्व आत्मा ज्ञानमय सर्व जीव हैं। मैं भी ज्ञानमय हूँ - ऐसी अन्तर की दृष्टि होने पर उसे समभाव और वीतरागता की ही उत्पत्ति होती है। समझ में आया? जो कोई समभाव का मनन करता है... ऐसा। मुणेइ (अर्थात् ) जानता है, वास्तव में । इस प्रकार जो ज्ञानमय जानकर, समभाव को उत्पन्न करता है, उसे ही प्रगट रूप से... फुडु है न? सामायिक जानो... प्रगट सामायिक । शक्तिरूप तो सामायिक है ही – ऐसा कहते हैं। भाई ! समभाव तो उसका स्वरूप ही है। ज्ञानमय कहा, उसका अर्थ भी समभाव स्वरूप उसका है। ज्ञानमय कहो या वीतराग ज्ञानस्वरूप कहो, समज्ञानमय यह तो उसका स्वरूप ही है परन्तु इस प्रकार अन्दर नजर पड़ने पर, उसका ज्ञान होने पर प्रगट समता की दशा प्रगट होती है। समझ में आया? ओ...हो...! व्यवहार से यदात्वे जाना हुआ प्रयोजनवान है। देखो न ! कहाँ शैली रखी है। समझ में नहीं आया? भगवान कुन्दकुन्दाचार्य ने ग्यारहवीं गाथा में ऐसा कहा कि भूदत्थमस्सिदो खलु सम्मादिट्ठी हवदि जीवो' (समयसार गाथा-११) भाई! विकार अर्थात् ज्ञानमय कहो, भूतार्थ त्रिकाल एक स्वरूप कहो, उसके आश्रय से आत्मा को सम्यग्दृष्टि, समभाव की सम्यग्दृष्टि प्रगट होती है और उसके ही आश्रय से चारित्ररूपी समता का भाव (प्रगट होता है)। 'भूदत्थमस्सिदो' 'भूदत्थमस्सिदो खलु सम्मादिट्ठी हवदि जीवो'
SR No.009482
Book TitleYogsara Pravachan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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