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________________ गाथा - ९५ दोष था ? स्त्री क्यों दिखे ? यह तो केवलज्ञान में तीन काल-तीन लोक दिखता है, स्त्रियाँ दिखना या स्त्रियों के अवयव दिखना वह कहीं दोष का कारण नहीं है परन्तु रागी को राग है; इसलिए ऐसा देखने से उसे राग होता है, वह आँखों का दोष नहीं है, वह राग का दोष है परन्तु अज्ञान में ऐसा भासित नहीं हुआ । ऐसा क्यों होता है ? फोड़ आँख। वह आँख फोड़ना है या राग को फोड़ना है ? परन्तु वस्तु के स्वरूप का पता नहीं, इसलिए इस प्रकार आँख फोड़ ली। पश्चात् भगवान श्रीकृष्ण को पकड़ा... फिर भागे। आँखें नहीं इसलिए ऐसे पकड़े... भगवान भले तू हाथ में से जा, हृदय में से जा तो सही, कृष्ण तू, हाँ ! इस प्रकार का उन्हें प्रेम था । इसी प्रकार आत्मा भगवान आनन्द और ज्ञान में से जाए तो सही आत्मा... वह कभी जा ही नहीं सकता । आहा... हा...! समझ में आया ? ३०४ एक बाबा था, छोटी उम्र युवा बीस वर्ष का, सुन्दर, हाँ ! फिर लंगोटी पहने न ? लंगोटी, नहाने गया, नहाने । धुन बहुत, कृष्ण की धुन बहुत, भगत कहते, अपने भगत थे न ?... उन्हें होटल थी, बाबा-बाबा कोई आवे तो वह चाय पिलाये, काम्प में होटल थी। बीस वर्ष का युवा, हाँ! अकेली लंगोटी पहने दूसरा कुछ नहीं, नहाकर लंगोटी पहनना भूल गया और एकदम होटल में आया परन्तु अरे... ! महाराज ! लंगोटी भूल गये । अरे... ! भगत ! लंगोटी भूल जाता हूँ, हाँ ! परन्तु कृष्ण को मैं नहीं भूला । यह बात बनी हुई है । यह काम्प है न ? काम्प में वह भगत रहता था। पता ? कस्तूरभगत, यह 'पोपट भगत' लींबड़ी में रहता है न, उसका भाई वहाँ रहता । बहुत वर्ष (पहले की ) बात है । वह स्वयं पहले यहाँ आता । पोपटभाई कहता, बाबा ऐसे आवे परन्तु उन्हें तत्त्व का पता नहीं पड़ता, मार्ग का पता नहीं पड़ता। यों बेचारे वैराग्य करे, परन्तु यह आत्मा परमेश्वर साक्षात् स्वयं है, उसे भूलना नहीं चाहिए । कृष्ण तो पर है, उनकी यहाँ बात नहीं है। समझ में आया ? कहते हैं भगवान आत्मा... मृग की नाभि में कस्तूरी... वैसे भगवान आत्मा के अन्तर में आनन्द और ज्ञान से भरपूर प्रभु, उसके सन्मुख देखे बिना जितना पुण्य और पाप का भाव आदि करे वह सब संसार में भटकने के लिए है। समझ में आया ? वह फिर
SR No.009482
Book TitleYogsara Pravachan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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