SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चाउरंत चक्कवटिणं, दीवो ताणं सरण गई पइठ्ठाणं, अप्पडिहयं वर नाण, दंसण धराणं, वियट्ट छउमाणं, जिणाणं-जावयाणं, तिन्नाणं, त्तारयाणं, बुद्धाणं-बोहयाणं, मुत्ताणं-मोयगाणं, सव्वनूणं-सव्वदरिसीणं, सिव, मयल, मरूय, मणंत, मक्खय, मव्वाबाह, मपुणरावित्ति, सिद्धिगइ नामघेयं ठाणं संपताणं, नमो जिणाणं-जिय भयाणं। दूसरा नमोत्थुणं श्री अरिहंत भगवंतों को करता हूँ। नमोत्थुणं! अरिहंताणं, भगवंताणं, आइगराणं तित्थयराणं, सयंसंबुद्धाणं, पुरिसुत्तमाणं, पुरिससीहाणं, पुरिसवर पुंडरियाणं, पुरिसवर गंध हत्थीणं, लोगुत्तमाणं, लोग नाहाणं, लोग हियाणं, लोग पइवाणं, लोग पज्जोयगराणं, अभय दयाणं, चक्खु दयाणं, मग्ग दयाणं, सरण दयाणं, जीव दयाणं, बोहि दयाणं, धम्म दयाणं, धम्म देसयाणं, धम्म नायगाणं, धम्म सारहिणं, धम्मवर चाउरंत चक्कवटिणं, दीवो ताणं सरण गइ पइट्ठाणं, अप्पडिहय वर नाण, दंसण धराणं, वियट्ट छउमाणं, जिणाणं-जावयाणं, तिन्नाणं, त्तारयाणं, बुद्धाणं-बोहयाणं, मुत्ताणं-मोयगाणं, सव्वन्नूणं-सव्वदरिसीणं, सिव, मयल, मरूय, मणंत, मक्खय, मव्वाबाह, मपुणरावित्ति, सिद्धिगइ नामघेय ठाणं संपावियु कामाणां, नमो जिणाणं-जिय भयाणं। तीसरा नमोत्थुणं धर्मगुरु, धर्माचार्य, धर्मोपदेशक, सम्यकत्वरूपी बोधिबीज के दातार, जिनशासन के शणगार सुबह उठकर... २७
SR No.009477
Book TitleSukhi hone ki Chabi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayesh Mohanlal Sheth
PublisherShailesh Punamchand Shah
Publication Year
Total Pages59
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy