SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ डॉ. हुकमचंदजी भारिल्ल का नाम आज जैन समाज के उच्च कोटि के विद्वानों में अग्रणीय है। ज्येष्ठ कृष्णा अष्टमी वि. स. 1992 तदनुसार शनिवार, दिनांक 25 मई, 1935 को ललितपुर (उ.प्र.) जिले के बरौदास्वामी ग्राम के एक धार्मिक जैन परिवार में जन्मे डॉ. भारिल्ल शास्त्री, न्यायतीर्थ, साहित्यरत्न तथा एम.ए., पी-एच.डी. हैं। समाज द्वारा महामहोपाध्याय, विद्यावाचस्पति, परमागम विशारद, तत्त्ववेत्ता, अध्यात्म शिरोमणि, वाणीविभूषण, जैनरत्न, विद्यावारिधी और विद्वत् शिरोमणि आदि अनेक उपाधियों से समय-समय पर आपको विभूषित किया गया है। सरल, सुबोध तर्कसंगत एवं आकर्षक शैली के प्रवचनकार डॉ. भारिल्ल आज सर्वाधिक लोकप्रिय आध्यात्मिक प्रवक्ता हैं। उन्हें सुनने देश-विदेश में हजारों श्रोता निरन्तर उत्सुक रहते हैं। आध्यात्मिक जगत में ऐसा | कोई घर न होगा, जहाँ प्रतिदिन आपके प्रवचनों के कैसिट न सुने जाते हों तथा आपका साहित्य उपलब्ध न हो। धर्म प्रचारार्थ आप तेईस बार विदेश यात्रायें भी कर चुके हैं। जैन जगत में सर्वाधिक पढ़े जानेवाले डॉ. भारिल्ल ने | अब तक छोटी-बड़ी 62 पुस्तकें लिखी हैं और अनेक ग्रन्थों का सम्पादन किया है, जिनकी सूची अन्दर | प्रकाशित की गई है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अब तक आठ भाषाओं में प्रकाशित आपकी कृतियाँ 40 लाख से भी अधिक की संख्या में जन-जन तक पहुँच चुकी हैं। सर्वाधिक बिक्रीवाले जैन आध्यात्मिक मासिक 'वीतराग - विज्ञान' हिन्दी तथा मराठी के आप संपादक हैं। श्री टोडरमल स्मारक भवन की छत के नीचे । चलनेवाली विभिन्न संस्थाओं की समस्त गतिविधयों के संचालन में आपका महत्त्वपूर्ण योगदान हैं। वर्तमान में आप श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् के अध्यक्ष तथा पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर के महामन्त्री हैं। अभी हाल ही में आपको राजस्थान विश्वविद्यालय का सीनेटर भी नियुक्त किया गया है। इसके अतिरिक्त भारत जैन महामण्डल, दिगंबर जैन महासमिति, अ. भा. दि. जैन परिषद् जैसी अनेक संस्थाओं के आप संरक्षक हैं। 5
SR No.009475
Book TitleShashvat Tirthdham Sammedshikhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2009
Total Pages33
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy