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________________ संक्षेप में प्रस्तुत करने वाली डॉ. भारिल्ल की १५६ पृष्ठीय सरल-सुबोध कृति 'आचार्य कुन्दकुन्द और उनके पंचपरमागम' को भी प्रकाशित किया था, वह भी काफी लोकप्रिय सिद्ध हुई। इसीप्रकार राजस्थान विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. के लिए स्वीकृत डॉ. शुद्धात्मप्रभा का शोध प्रबंध आचार्य कुन्दकुन्द और उनके टीकाकार' भी प्रकाशित की गई। ____ आचार्य कुन्दकुन्द के पंचपरमागम तो हमारे यहाँ हमेशा उपलब्ध रहते ही हैं। इसप्रकार आचार्य कुन्दकुन्द और उनके व्यक्तित्व को जन-जन तक पहुँचाने के महान कार्य में डॉ. भारिल्ल के सहयोग एवं निर्देशन में हमने जो भी संभव हुआ, पूरी शक्ति से किया है। यही कारण है कि आज आचार्य कुन्दकुन्द और उनका साहित्य सम्पूर्ण जैन समाज में पठन-पाठन का विषय बन गया है।
SR No.009473
Book TitleSamaysara Padyanuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2004
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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