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________________ 70 n प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि ८. श्री चन्द्रप्रभ भगवान का अर्घ्य (अवतार) सजि आठों दरब पुनीत, आठों अंग नमों । पूजों अष्टम जिन मीत, अष्टम अवनि गमों ।। श्री चंदनाथ दुति चंद, चरनन चंद लगे, मनवचतन जजत अमंद, आतमजोति जगै ।। ॐ ह्रीं श्री चन्द्रप्रभजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा । ९. श्री पुष्पदन्त भगवान का अर्घ्य ( चाल होली ) जल फल सकल मिलाय मनोहर, मन-वच - तन हुलसाय । तुम पद पूजौं प्रीति लायकै, जय जय त्रिभुवनराय ।। मेरी अरज सुनीजे, पुष्पदन्त जिनराय ।। ॐ ह्रीं श्री पुष्पदंतजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा । १०. श्री शीतलनाथ भगवान का अर्थ्य (वसंततिलका) श्रीफलादि वसु प्रासुक द्रव्य साजै । नाचे रचे मचत बज्जत सज्ज बाजै ॥ रागादि दोष मलमर्दन हेतु येवा । चर्चों पदाब्ज तव शीतलनाथ देवा ।। ॐ ह्रीं श्री शीतलनाथजिनेन्द्राव अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। ११. श्री श्रेयांसनाथ भगवान का अर्घ्य ( हरिगीता) जल मलय तंदुल सुमन चरु अरु दीप धूप फलावली । करि अर्घ्य चरचों चरनजुग प्रभु मोहि तार उतावली ।। श्रेयांसनाथ जिनन्द त्रिभुवनवन्द आनन्दकन्द हैं। दुख दन्द - फन्द निकन्द पूरनचन्द जोति अमन्द हैं ।। ॐ ह्रीं श्रीं श्रेयांसनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वा u
SR No.009468
Book TitlePratishtha Pujanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Shastri
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year2012
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, M000, & M005
File Size1 MB
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